शिक्षा अधिकार अधिनियम में पारदर्शिता को लेकर एमएलसी ने उच्च सदन में उठाया मुद्दा
कोई गरीब बच्चा शिक्षा से वंचित न रह सके उसके लिए सरकार ने एक अधिनियम पारित किया है;
ग्रेटर नोएडा। कोई गरीब बच्चा शिक्षा से वंचित न रह सके उसके लिए सरकार ने एक अधिनियम पारित किया है, जिसका पालन करने में निजी शिक्षण संस्थान अधिनियम की लगातर अनदेखी कर रहे हैं।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत निजी स्कूलों में छात्रों के प्रवेश में बरती जा रही अनियमितता के मामले में उत्तर प्रदेश विधानमंडल तक दस्तक दे दी है। विधान परिषद सदस्य श्रीचंद शर्मा ने उच्च सदन के पटल पर रखा।
उन्होंने सदन में आरटीई का दुरूपयोग करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। उन्होंने आरटीई कानून को पारदर्शी बनाने के लिए इसके प्रावधानों को अधिक सख्त बनाने की मांग भी की।
दरअसल, सरकार द्वारा समाज के वंचित एवं शोषित वर्ग के छात्रों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए साल 2009 में शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून का निर्माण किया। इसके अन्तर्गत 6-14 साल के छात्रों को निःशुल्क शिक्षा ग्रहण करने की व्यवस्था की गई।
इसके अन्तर्गत निजी स्कूलों में इन छात्रों के प्रवेश के लिए स्थान आरक्षित किए गए। एमएलसी श्रीचंद शर्मा के अनुसार समाज के कुछ सम्पन्न वर्ग के लोग फर्जी दस्तावेज तैयार कर अपने बच्चों को आरटीई एक्ट के तहत प्रवेश दिला रहे हैं।
जरूरतमंद छात्र इस कानून के लाभ से वंचित रह रहे हैं। उन्होंने सदन में दोषियों के विरूद्ध कठोर कार्रवाई की मांग करते हुए आरटीई कानून के प्रावधानों को अधिक पारदर्शी बनाने की मांग की।