भाजपा की उपेक्षा के कारण मनरेगा का हुआ बुरा हाल: चिदंबरम

केंद्र में भाजपा के सरकार पर मनरेगा की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने आज कहा कि इस रोजगार कार्यक्रम ने भुखमरी से निपटने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी;

Update: 2019-01-07 16:20 GMT

नयी दिल्ली। केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर मनरेगा की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने आज कहा कि इस रोजगार कार्यक्रम ने भुखमरी से निपटने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी थी, लेकिन अब उसकी भी स्थिति खराब है।

पूर्व वित्त मंत्री ने दावा किया कि राज्यों ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के लिए आवंटित धन को खर्च कर दिया है और चालू वित्त वर्ष के शेष तीन महीनों के लिए केवल 331 करोड़ रुपये की राशि ही बची हुई है।

उन्होंने बताया कि इस बात का कोई संकेत नहीं दिख रहा है कि केंद्र मनरेगा के लिए अब और अधिक धन मुहैया कराएगा।  

 उन्होंने अपने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा कि एक अन्य चिंताजनक बात यह है कि मनरेगा अब मांग के आधार पर संचालित होने वाला कार्यक्रम नहीं रहा, बल्कि इसमें अब धन की उपलब्धता के आधार पर ही श्रमिकों को काम दिया जाता है।    उन्होंने कहा, "धन उपलब्ध नहीं होने के कारण कई पंचायतों में काम पूरी तरह से रुक गया है।"  

In times of rural distress, the neglect of MGNREGA by the BJP government is unpardonable.

— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) January 7, 2019


 

The States have exhausted the money that was allotted. There is only Rs 331 crore left for the remaining three months, and there is no indication
that the central government will provide more money.

— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) January 7, 2019


Another worrying factor is that MGNREGA is no longer demand driven. Work is provided based on availability of funds. With funds not available, work has completely stopped in many panchayats.

— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) January 7, 2019


 

Agricultural prices are low. Job opportunities are dismal. The one thing that staved off hunger was
MGNREGA. And that programme is in the doldrums.

— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) January 7, 2019


 

 "कृषि संबंधी कीमतें कम हैं। नौकरी के अवसर बहुत कम हैं। एक चीज जो भुखमरी से निपटने में मददगार थी, वह थी मनरेगा और इस कार्यक्रम की हालत भी अब खराब है।

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