व्यापारियों ने एक स्वर में कहा, जीएसटी की जटिलताओं, विसंगतियों का व्यापार पर पड़ रहा है प्रतिकूल प्रभाव

नई कर प्रणाली वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर एक कार्यक्रम जीएसटी मंथन का आयोजन राजधानी में किया गया;

Update: 2017-09-20 01:22 GMT

एक ही ट्रेड में कई तरह की जीएसटी दरें 
जीएसटी में पंजीकृत व्यापारी को एक ही राज्य में कारोबार के लिए भरने होंगे साल में 40 रिटर्न


नई दिल्ली। नई कर प्रणाली वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर एक कार्यक्रम जीएसटी मंथन का आयोजन राजधानी में किया गया। दिल्ली, एनसीआर सहित देश के अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में व्यापारियों ने हिस्सा लेते हुए जीएसटी पर अपने विचार, सुझाव और व्यापार में आ रही समस्याओं को साझा करते हुए कहा कि जीएसटी एक जटिल प्रक्रिया है और जटिलता के चलते ही इसकी पालना विशेषज्ञों की मदद के बगैर संभव नहीं हो पा रही है। कार्यक्रम में व्यवसायियों के अलावा कर विशेषज्ञ, कानूनी सलाहकार और जीएसटी विशेषज्ञों ने भी भाग लिया। 

व्यापारियों ने जीएसटी से संबंधित कई समस्याओं को साझा किया और कहा कि जीएसटी की जटिलताएं, कर की पेंचीदगियां और रिटर्न भरने में आ रही दिक्कतों के अलावा जीएसटी की रीढ़ यानि जीएसटीएन का ठीक से काम न करने से समस्याएं हो रही हैं। 

फेडरेशन आफ आल इंडिया व्यापार मंडल के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राधेश्याम शर्मा ने कहा कि जीएसटी प्रणाली को इतना जटिल बनाया गया है कि इसकी पालना विशेषज्ञों की मदद के बगैर संभव ही नहीं है। लघु कारोबारी, कम पढ़े-लिखे दुकानदार के लिए जीएसटी के तहत काम करना लगभग न मुमकिन ही है। पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन आधारित है। इसलिए बगैर कम्प्यूटर के इसकी पालना संभव नहीं है।

समस्या ये है कि जहां 80 फीसदी कारोबारी बगैर कम्प्यूटर के हैं वहीं सभी जगह 24 घंटे बिजली और इंटरनेट की व्यवस्था सुचारू रूप से हो, इस पर प्रश्नचिह्न है। 

उन्होंने बताया कि हालांकि जीएसटी परिषद समय समय पर सवालों और समस्याओं का समाधान कर रही है बावजूद इसके कई समस्याएं हैं। फेडरेशन राष्ट्रीय महामंत्री वीके बंसल ने कहा कि एक तरफ  20 लाख सालाना टर्न ओवर वाले लघु कारोबारियों को जीएसटी पंजीकरण से छूट दी गई। वहीं दूसरी ओर जीएसटी में ऐसे प्रावधान है कि जीएसटी में गैर पंजीकृत व्यापारी अपना माल पंजीकृत व्यापारियों को नहीं बेच सकते। वे किसी दूसरे राज्यों के गैर पंजीकृत व्यापारी को भी अपना नहीं बेच सकते हैं। वे सिर्फस्थानीय कारोबार ही कर सकते हैं जो व्यापार के लिहाज से ठीक नहीं है। 

बंसल के मुताबिक हाल में ही सरकार की ओर से कर अधिकारियों को दो करोड़ नए कारोबारियों को जीएसटी से जोडऩे का फरमान जारी किया गया है। ऐसे में कर अधिकारी गैर पंजीकृत लघु कारोबारियों पर जीएसटी में पंजीकृत होने का दबाव बना रहे हैं। उन्होंने जीएसटी परिषद से इस मुद्दे पर मानवीय आधार पर विचार कर उचित मार्गदर्शन किए जाने की अपील की है।

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