ईडी की बड़ी कार्रवाई: ऑयल इंडिया के पूर्व इंजीनियर की 2.40 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के गुवाहाटी जोनल ऑफिस ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में बड़ी सफलता हासिल की है। ईडी ने पीएमएलए, 2002 के तहत ऑयल इंडिया लिमिटेड, दुलियाजान के तत्कालीन अधीक्षक अभियंता (सिविल) करुण ज्योति बरुआ की आय से अधिक संपत्ति के मामले में 2.40 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क की है;

Update: 2025-12-17 21:40 GMT

गुवाहाटी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के गुवाहाटी जोनल ऑफिस ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में बड़ी सफलता हासिल की है। ईडी ने पीएमएलए, 2002 के तहत ऑयल इंडिया लिमिटेड, दुलियाजान के तत्कालीन अधीक्षक अभियंता (सिविल) करुण ज्योति बरुआ की आय से अधिक संपत्ति के मामले में 2.40 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क की है।

जब्त की गई संपत्ति में 67 एलआईसी पॉलिसियां (कीमत 1.96 करोड़ रुपए) और एक आरसीसी आवासीय भवन सह कवर्ड गैरेज (कीमत 43.99 लाख रुपए) शामिल हैं।

यह जांच सीबीआई की एसीबी, गुवाहाटी द्वारा दर्ज एफआईआर पर आधारित है, जिसमें बरुआ पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत आय से अधिक संपत्ति रखने का आरोप है। सीबीआई की चार्जशीट में खुलासा हुआ कि 1 अप्रैल 2009 से 31 मार्च 2019 तक की अवधि में बरुआ ने अपनी ज्ञात आय से 2.39 करोड़ रुपए अधिक संपत्ति अर्जित की थी।

ईडी की वित्तीय जांच से पता चला कि बरुआ ने मनी ट्रेल छिपाने के लिए अपने या परिवार के सदस्यों के नाम पर निवेश किया। उन्होंने नकद में 44 एलआईसी पॉलिसियां (लगभग 62.84 लाख रुपए) खरीदीं, जबकि परिवार की आय इतनी नहीं थी। बैंकिंग चैनलों से भी कई पॉलिसियां खरीदी गईं, लेकिन बरुआ अपनी ज्ञात आय से इतने निवेश का स्रोत नहीं बता सके।

इसके अलावा, अपराध की आय से उन्होंने 43.99 लाख रुपए की आरसीसी आवासीय संरचना और कवर्ड गैरेज का निर्माण कराया। ईडी ने इन संपत्तियों को प्रोविजनल अटैचमेंट ऑर्डर के तहत कुर्क किया है। ईडी का कहना है कि यह कार्रवाई सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग पर अंकुश लगाने की दिशा में महत्वपूर्ण है। ऑयल इंडिया लिमिटेड जैसे संस्थानों में पद का दुरुपयोग कर अर्जित आय को छिपाने के प्रयासों पर यह झटका है।

आगे की जांच जारी है, जिसमें और संपत्तियों या संबंधित व्यक्तियों का पता लगाया जा सकता है। ईडी ने भ्रष्टाचार से अर्जित संपत्ति पर जीरो टॉलरेंस की नीति को दोहराया है। यह मामला असम में सार्वजनिक क्षेत्र के अधिकारियों के लिए चेतावनी है कि आय के स्रोतों की पारदर्शिता अनिवार्य है।

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