कुम्भ: 150 नागा संन्यासियों को दी गई दीक्षा

अखाड़ों के आन-बान और शान कहे जाने वाले नागा संन्यासी बनने का क्रम जारी है और आज निरंजनी अखाड़े में 150 नागाओं को सन्यासी बनने की दीक्षा दी गयी;

Update: 2019-01-28 20:17 GMT

कुम्भ नगर। अखाड़ों के आन-बान और शान कहे जाने वाले नागा संन्यासी बनने का क्रम जारी है और साेमवार को निरंजनी अखाड़े में 150 नागाओं को सन्यासी बनने की दीक्षा दी गयी।

पंचायती तपोनिधि निरंजनी अखाड़ा के कुम्भ मेला अध्यक्ष परमिंदर पुरी ने बताया कि सोमवार को अखाड़ा में 150 नागा सन्यासियों को दीक्षा देने का कार्यक्रम किया गया। उन्होंने बताया कि सबसे पहले नागाओं का क्षौर क्रिया कराया गया।

गंगा किनारे स्थित सेक्टर 16 में निरंजनी अखाड़े में युवा, बुजुर्ग गृहस्थों को नागा सन्यासी बनने की दीक्षा दी गयी। सभी गृहस्थ एक कोपिन (लंगोटी) धारण कर गंगा किनारे कतार में बैठे हुए थे। स्नान करने के बाद पंड़ित द्वारा मंत्रोच्चार के बीच उन्हें जनेऊ पहनाया गया।

महंत पुरी ने बताया कि कुम्भ मेले के दौरान दो बार दीक्षा दी जायेगी। एक बार सोमवार कोे और दूसरी बार चार मार्च शाही स्नान के बाद नागा सन्यासियों को दीक्षा देने का कार्यक्रम पुन: कराया जायेगा।

उन्होंने बताया कि धर्म की रक्षा के लिए नागा बनाने से पहले संस्कार की परंपरा पूरी करायी गयी। पूर्व में सन्यास धारण किये हुए संतो को पूरे विधि-विधान से अखाडों की परंपरा के अनुसार क्षौर क्रिया कराई गयी।

उन्होंने बताया कि क्षौर क्रिया के बाद इनकी दशविधि स्नान कराया जाता है। इस स्नान के बाद उनके सारे पाप खत्म हो जाते हैं। यह मानव जीवन से अलग संत परिवेश में जीवन जीते हैं। अपना पिण्डदान करने के बाद सभी सांसारिक नाते रिश्तों से मुक्त हो गये। यह सभी आजीवन जमीन पर सोयेंगे।

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