केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, ‘जी राम जी’ कानून को लागू करने से पुनर्विचार का किया आग्रह
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) के स्थान पर विकसित भारत-जी राम जी विधेयक, 2025 लाये जाने पर गंभीर चिंता व्यक्त की है;
विजयन ने मोदी से ‘जी राम जी’ कानून को लागू करने से पुनर्विचार का किया आग्रह
तिरुवनंतपुरम। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) के स्थान पर विकसित भारत-जी राम जी विधेयक, 2025 लाये जाने पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।
गौरतलब है कि संसद के शीतकालीन सत्र में ‘विकसित भारत- जी राम जी विधेयक, 2025’ पारित किया गया है।
विजयन ने पत्र में कहा है कि सीमित वित्तीय संसाधनों को देखते हुए प्रस्तावित कानून के कई प्रावधानों का ‘राज्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा मनरेगा के तहत केंद्र सरकार मजदूरी के पूरे हिस्से का वहन करती है, जबकि नये विधेयक में केंद्र की हिस्सेदारी को घटाकर 60 प्रतिशत करने का प्रावधान है।
विजयन ने कहा कि मौजूदा ढांचे में इतना बड़ा बदलाव बेहद हानिकारक होगा। प्रारंभिक अनुमानों से संकेत मिलता है कि यदि नया विधेयक कानून बनता है तो अकेले केरल को प्रति वर्ष लगभग 3,500 करोड़ रुपये का वित्तीय नुकसान होगा।
मुख्यमंत्री ने याद दिलाया कि मनरेगा उस समय शुरू की गयी थी, जब ग्रामीण अर्थव्यवस्था गंभीर संकट का सामना कर रही थी। उन्होंने कहा कि बढ़ती बेरोजगारी और बढ़ती असमानता के समय में मांग-आधारित रोजगार कार्यक्रम राष्ट्रीय कल्याण का एक अनिवार्य हिस्सा बना हुआ है।
नया विधेयक हालांकि इस योजना को मांग-आधारित बताता है, लेकिन यह प्रभावी रूप से इसे केंद्र द्वारा निर्धारित आवंटन के साथ एक केंद्र-नियंत्रित कार्यक्रम में बदल देता है, जो इसके मूल दर्शन को कमजोर करता है।
विजयन ने यह भी रेखांकित किया कि मनरेगा लागू करने में केरल लगातार सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों में रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि इसके नये स्वरूप में किसी भी प्रकार की कमी केरल जैसे राज्यों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगी और कार्यक्रम के उद्देश्यों को विफल कर देगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मानव सेवा के लिए अपने जीवन को समर्पित कर देने वाले महात्मा गांधी का नाम ऐसी कल्याणकारी पहल के साथ जुड़ा रहना चाहिए।विजयन ने आगाह किया कि प्रस्तावित विधेयक विकेंद्रीकरण के गांधीवादी सिद्धांतों के विपरीत है, नौकरशाही के प्रभुत्व को बढ़ावा देता है और 73वें तथा 74वें संविधान संशोधनों के तहत प्रस्तावित विकेंद्रीकरण की भावना का उल्लंघन करता है।
मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से इस कदम पर पुनर्विचार करने और नये विधेयक को लागू करने से बचने का आग्रह किया।