कर्नाटक: किसान संघ ने सरकार के फैसले का जताया विरोध
चीनी मिल प्रबंधन ने पिछले 14 से 15 महीनों तक मैसुरु जिले के किसानों को गन्ना खरीदी की राशि नहीं दी है;
मैसुरु। कर्नाटक गन्ना उत्पादक एसोसिएशन सहित किसानों के संघ ने राज्य सरकार के उस फैसले की निंदा की है जिसमें सरकार ने चावल मिल मालिकों को धान खरीदने की अनुमति दी है।
कबीनी किसान हितरक्षण समिति के अध्यक्ष कुरबुर शांतकुमार ने आज यहां जारी प्रेस विज्ञप्ति में आरोप लगाया कि सरकार धान के लिए 1750 रुपये प्रति क्विटल न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा कर सकती है और राज्य के विभिन्न हिस्सों में उठान केन्द्र स्थापित कर सकती है, लेकिन “दुर्भाग्य’’ यह है कि धान मिल मालिकों को इसे खरीदने का जिम्मा सौंपा गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार को भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के माध्यम से धान खरीदा जाना चाहिये, जिससे धान मिल मालिकों को प्रतिस्पर्धा में धान का किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करने के लिए मजबूर किया जा सकता था।
सरकार धान मिल मालिकों को धान खरीदने का कार्य सौपकर किसानों को प्रतिस्पर्धी कीमत पर अपने धान बेचने के लिए वंचित कर रही है। इसके अलावा सरकार ने धान उठान केन्द्र पर प्रत्येक किसान के लिए 40 क्विंटल की सीमा तय कर दी है।
किसानों ने मसूरु जिले में गन्ना उत्पादकों से गन्ना खरीदने में बन्नारी अम्मान चीनी मिल द्वारा देरी करने के विरोध में सरकार के समक्ष शिकायत दर्ज कराई है।
उन्होंने कहा कि चीनी मिल प्रबंधन ने पिछले 14 से 15 महीनों तक मैसुरु जिले के किसानों को गन्ना खरीदी की राशि नहीं दी है। इसके बदले प्रबंधन मांड्या के गन्ना उत्पादकों से गन्ना खरीद रहा था।
उन्होंने सरकार से किसानों को गन्ना की 2650 रुपये प्रति क्विटल की खरीद के साथ 300 रुपये अतिरिक्त उचित और लाभकारी मूल्य देने की मांग की है।