कानपुर कांड : जांच के दायरे में आए एसटीएफ के डीआईजी का तबादला

कानपुर कांड में जांच के दायरे में आए एसटीएफ के डीआईजी अनंतदेव तिवारी का योगी सरकार ने मंगलवार को तबादला कर दिया;

Update: 2020-07-08 00:23 GMT

लखनऊ। कानपुर कांड में जांच के दायरे में आए एसटीएफ के डीआईजी अनंतदेव तिवारी का योगी सरकार ने मंगलवार को तबादला कर दिया। साथ ही दो अन्य अधिकारियों को भी इधर से उधर किया गया है। शहीद सीओ देवेंद्र मिश्र का पत्र सोमवार को उनकी बेटी ने पुलिस को घर में रखी फाइल से निकालकर दिया था। इसके बाद सोमवार को ही सीओ कार्यालय को सील कर दिया गया था। इस मामले में तत्कालीन एसएसपी अनंतदेव तिवारी पर सवाल उठ रहे थे कि जब सीओ ने उन्हें पत्र लिखकर विकास दुबे व निलंबित थानेदार विनय तिवारी की साठगांठ की पोल खोली थी तब उन्होंने दोनों पर कार्रवाई क्यों नहीं की।

सीओ देवेंद्र मिश्र के पत्र को लेकर तत्कालीन एसएसपी और मौजूदा डीआईजी (एसटीएफ ) अनंतदेव तिवारी जांच के घेरे में आ गए हैं। सोमवार को यह पत्र सीओ की बेटी ने ही घर में मिली फाइल से निकालकर दिखाया था। यह पत्र फिलहाल किसी रिकार्ड में नहीं है। शक है कि इसे गायब कर दिया गया है। इसके बाद आईजी लखनऊ लक्ष्मी सिंह को मंगलवार सुबह बिल्हौर स्थित सीओ कार्यालय जांच के लिए भेजा गया। उन्होंने दस्तावेजों का निरीक्षण किया। कई पुलिसकर्मियों से पूछताछ भी की।

इस बीच, फॉरेंसिक टीम ने सीओ का कंप्यूटर सील करके लखनऊ स्थित विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजा है, ताकि कंप्यूटर की हार्डडिस्क से यह पता लगाया जा सके कि यह पत्र इस कंप्यूटर से टाइप हुआ था या नहीं।

उधर, शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा के स्वजन वायरल पत्र को लेकर स्थानीय पुलिस के दावों से आहत है। उनका कहना है कि पुलिस में गंभीरता का अभाव नजर आ रहा है, साथ ही मामले की जांच में शामिल डीआईजी (एसटीएफ ) को भी कठघरे में खड़ा करते हुए नैतिकता के आधार पर जांच टीम से हटाए जाने की मांग भी उठाई थी।

बलिदानी सीओ देवेंद्र मिश्रा के बड़े साढू कमलाकांत ने मंगलवार को मीडिया के सामने आकर कहा कि वायरल पत्र से स्पष्ट हो गया है कि तत्कालीन एसएसपी एवं मौजूदा एसटीएफ -डीआईजी अनंतदेव तिवारी ने पत्र पर कोई संज्ञान नहीं लिया था। इससे उनकी सत्य्निष्ठा सवालों के घेरे में है और जांच के बाद ही पता चलेगा कि वह दोषी हैं या नहीं।

उन्होंने आगे कहा, "कोई भी व्यक्ति खुद अपनी जांच नहीं कर सकता। न्याय का सामान्य सा सिद्धांत है कि जिन लोगों पर संदेह होता है उन्हें जांच से दूर रखा जाता है। खुद संदेह के दायरे में आया व्यक्ति क्या जांच करेगा। सही जांच कमेटी का चयन किया जाना चाहिए, वरना ऐसे लोग तो सच पर धूल डाल देंगे।"

स्थानीय पुलिस के रिकार्ड में उस पत्र के न होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि पुलिस के रिकार्ड में उस पत्र का न होना चिंता का विषय है, कहीं कुछ गड़बड़ है, जिसकी जांच की जानी चाहिए।

उन्होंने कहा, "अगर मान भी लें कि शहीद पुलिसकर्मियों का पत्र अधिकारियों तक नहीं पहुंचा तो अब पत्र सामने आने के बाद पुलिस अफसर क्या कार्रवाई कर रहे हैं। गैंगस्टर विकास दुबे की गिरफ्तारी अभी तक नहीं हो पाई है। पुलिस को उसका सुराग भी नहीं मिल पा रहा है, जबकि पिछले कुछ दिनों से ताबड़तोड़ कई जगह छापेमारी जारी है।"

अपराधी विकास दुबे पांच दिन बाद भी गायब है। यूपी पुलिस की तमाम टीमें उसकी तलाश में जुटी हुई हैं। पुलिस ने मंगलवार को उसके कई ठिकानों पर दबिश भी दी। उसके गांव में मौजूद हर घर को खंगाला गया है।

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