झारखंड : मुख्य सचिव, डीजीपी को हटाने की विपक्ष की मांग
झारखंड विधानसभा के बजट सत्र की शुरुआत बुधवार को काफी हंगामेदार रही;
रांची। झारखंड विधानसभा के बजट सत्र की शुरुआत बुधवार को काफी हंगामेदार रही। विपक्षी पार्टियों ने चारा घोटाला मामले में कोषागार से धन निकासी के संबंध में राज्य की मुख्य सचिव और कथित गोलीबारी की घटना के लिए पुलिस महानिदेशक(डीजीपी) को हटाने की मांग की। विपक्ष के नेता हेमंत सोरेन की अगुवाई में विपक्षी पार्टियों के विधायकों ने राज्य के दो शीर्ष अधिकारियों को हटाने की मांग की। उनलोगों ने हाथ में 'डीजीपी को निष्कासित करो, मुख्य सचिव को पद से हटाओ' जैसे नारे लिखे पोस्टर ले रखे थे।
बजट सत्र के पहले दिन जब राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने सदन को संबोधित करना शुरू किया, उस वक्त विपक्षी सदस्यों ने नारे लगाने शुरू कर दिए।
मुख्य सचिव राजबाला वर्मा पर आरोप है कि उन्होंने 1990 में पश्चिम सिहभूम जिले की उपायुक्त रहने के दौरान चाईबासा कोषागार से फर्जी तरीके से धन निकासी को रोकने के लिए कुछ नहीं किया। यह फर्जी निकासी पशुपालन विभाग में हुआ, जिसे चारा घोटाले के नाम से जाना जाता है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो ने 2003 में उन्हें नोटिस दिया था, लेकिन 15 बार चेतावनी दिए जाने के बाद भी उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी।
जब स्थानीय मीडिया ने इस मुद्दे को उठाया तो इस महीने सरकार ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया। मुख्य सचिव ने हालांकि अपना जवाब दाखिल कर दिया है, राज्य सरकार को अभी भी इस मामले पर निर्णय लेना है।
पुलिस महानिदेशक डी.के. पांडे भी वर्ष 2005 में लातेहार जिले के बाकोरिया गोलीबारी के संबंध में विपक्ष के निशाने पर हैं। इस मुठभेड़ में नक्सलियों के साथ गोलीबारी में कथित रूप से एक निर्दोष व्यक्ति की मौत हो गई थी।
झारखंड उच्च न्यायालय ने भी बाकोरिया गोलीबारी में राज्य सरकार से जवाब मांगा है। अपराध जांच शाखा(सीआईडी) के अतिरिक्त निदेशक जनरल एम.वी. राव ने राज्य के गृह सचिव को पत्र लिखकर कथित रूप से कहा था कि डीजीपी ने इस मामले में जांच धीमी गति से आगे बढ़ाने के लिए कहा था। राव को उसके बाद सीआईडी से बाहर कर दिया गया था।
हेमंत सोरेन ने मीडिया से कहा, "रघुबर दास सरकार निष्कलंक होने का दावा करती है, लेकिन इसके दो शीर्ष अधिकारी गंभीर मामलों का सामना कर रहे हैं और सरकार उन्हें नहीं हटा रही है। उन्हें बचाने के पीछे क्या कारण है?"