विलेज डिफेंस गार्ड्स का प्रशिक्षण तेज, पहले पुलिस और सेना दे रही थी ट्रेनिंग, अब बीएसएफ भी शामिल
प्रदेश में भीतर और सीमाओं पर खतरा अभी टला नहीं है। इसकी पुष्टि विलेज डिफेंस गार्ड्स अर्थात वीडीजी के ट्रेनिंग कार्यक्रमों को फिर से बहाल किए जाने से भी होती है। उन्हें पहले ही सेना और जम्मू कश्मीर पुलिस प्रशिक्षण दे रही थी और अब बीएसएफ भी इसमें शामिल हो गई है;
जम्मू। प्रदेश में भीतर और सीमाओं पर खतरा अभी टला नहीं है। इसकी पुष्टि विलेज डिफेंस गार्ड्स अर्थात वीडीजी के ट्रेनिंग कार्यक्रमों को फिर से बहाल किए जाने से भी होती है। उन्हें पहले ही सेना और जम्मू कश्मीर पुलिस प्रशिक्षण दे रही थी और अब बीएसएफ भी इसमें शामिल हो गई है।
बीएसएफ के बकौल, सीमा सुरक्षाबल ने जम्मू में इंटरनेशनल बार्डर पर विलेज डिफेंस गार्ड्स अर्थात वीडीजी, जिन्हें पहले वीडीसी अर्थात विलेज डिफेंस कमेटी के तौर पर जाना जाता था, उनके लिए हथियार और हथियार चलाने की ट्रेनिंग तेज कर दी है। यह ट्रेनिंग कुछ सप्ताह पहले ही आरंभ की गई है ताकि इलाके में घुसपैठ की कोशिशों और बढ़ती आतंकवादी गतिविधियों का मुकाबला किया जा सके।
सीमा सुरक्षाबल के प्रवक्ता ने बताया कि उसने जम्मू जिले की तहसील सुचेतगढ़ में बीएसएफ बार्डर आउटपोस्ट पर डेंजर और चरकरोई गांवों के वीडीजी सदस्यों के लिए एक खास हथियार चलाने का सेशन आयोजित किया।
अधिकारियों ने बताया कि यह ट्रेनिंग कमजोर बार्डर इलाकों में कम्युनिटी-बेस्ड डिफेंस तैयारियों को मजबूत करने की नई कोशिश का हिस्सा है। एक बीएसएफ अधिकारी ने पत्रकारों को बताया कि सेशन का फोकस वीडीजी वालंटियर्स की “आपरेशनल तैयारी और संकट-प्रतिक्रिया क्षमता” को बेहतर बनाने पर था।
वे कहते थे कि सेशन का मकसद उनकी आपरेशनल क्षमताओं को बढ़ाना और यह पक्का करना था कि वालंटियर्स हथियार चलाने, फायरिंग पोजीशन, फील्ड मूवमेंट और बेसिक रिस्पान्स ड्रिल में कान्फिडेंट हों। इस बीच, यह ट्रेनिंग आपरेशन सिंदूर के बाद हो रही है, जो इस साल की शुरुआत में पहलगाम हमले के बाद शुरू किया गया एक जाइंट एंटी-टेरर इनिशिएटिव है।
हालांकि सूत्रों ने पुष्टि की है कि इंटरनेशनल बार्डर के कई इलाकों में आतंकवादी गतिविधियों में बढ़ोतरी देखी गई है, खासकर पाकिस्तान की सीमा से लगे जिलों में, जिससे सुरक्षा एजेंसियों को अपने प्रिवेंटिव ग्रिड को बढ़ाना पड़ा है।
एक और अधिकारी ने बताया कि वीडीजी को अब फ्रंटलाइन फोर्स के लिए एक जरूरी सपोर्ट मैकेनिज्म के तौर पर तैयार किया जा रहा है। वे कहते थे कि "आपरेशन सिंदूर के बाद, बीएसएफ ने बार्डर इलाकों में विलेज डिफेंस गार्ड्स के लिए स्ट्रक्चर्ड हथियारों की ट्रेनिंग शुरू की है। इन गांवों में रहने वाले आम लोग डिफेंस की दूसरी लाइन के तौर पर काम करते हैं, और इसका मकसद यह पक्का करना है कि इमरजेंसी के दौरान जवाब देने के लिए उन्हें ठीक से ट्रेनिंग दी जाए।
जानकारी के लिए वीडीजी जिन्हें पहले विलेज डिफेंस कमेटियों अर्थात वीडीसी के नाम से जाना जाता था, ने ऐतिहासिक रूप से दूर-दराज और अधिक खतरे वाले इलाकों में सुरक्षा बलों को सपोर्ट करने में अहम भूमिका निभाई है, खासकर 1990 के दशक के बाद फैले आतंकवाद के दौर में।
हाल के सालों में कठुआ, डोडा, राजौरी, पुंछ और रियासी में हुए आतंकवादी हमलों के बाद उनकी भूमिका एक बार फिर फोकस में आ गई है। अधिकारियों का कहना था कि जीरो लाइन के पास बसे कई गांवों में बार्डर पार से फायरिंग, घुसपैठ के रास्ते और इंटरनेशनल बार्डर के पार आतंकवादियों की मूवमेंट की वजह से अक्सर अलर्ट रहता है।
वे कहते थे कि हथियारों की ट्रेनिंग प्रोग्राम का मकसद लोकल लोगों में भरोसा बढ़ाना और सिक्योरिटी फोर्स के मौके पर पहुंचने से पहले तुरंत जवाब देना पक्का करना है।
अधिकारी कहते थे कि ट्रेनिंग एक कंट्रोल्ड और सुपरवाइज्ड माहौल में हो रही है। हमारा मकसद बार्डर पर रहने वालों को मजबूत बनाना है ताकि वे अपनी सुरक्षा कर सकें और जब भी जरूरत हो, सिक्योरिटी ग्रिड को सपोर्ट कर सकें।
उन्होंने बताया कि आने वाले हफ्तों में कई सीमा चौकिओं पर इसी तरह के सेशन होंगे। ट्रेनिंग में 303 राइफल, एसएलआर और दूसरे आथराइज्ड हथियारों को संभालना, संदिग्ध मूवमेंट की पहचान करना, रात में पेट्रोलिंग की बेसिक बातें और इमरजेंसी के दौरान कम्युनिकेशन प्रोटोकाल शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि वीडीजी के शामिल होने से एक लेयर्ड, कम्युनिटी-असिस्टेड सिक्योरिटी सिस्टम बनाने में मदद मिलती है। यह बार्डर सेफ्टी के लिए बहुत ज़रूरी है।