कश्मीर में सभी को बर्फ गिरने का बेसब्री से इंतजार, पहलगाम और गुलमर्ग में होटलवालों को पर्यटकों की उम्मीद
सर्दियों में बर्फ के गिरने का इंतजार किसे नहीं होता। पर जम्मू कश्मीर में इसका इंतजार रोजी रोटी से लेकर देश की सुरक्षा की खातिर हो रहा है। इंतजार करने वालों में अगर वे आम कश्मीरी भी हैं जिनका रोजगार अब बर्फ पर टिका है तो प्रदेश सरकार को भी;
जम्मू। सर्दियों में बर्फ के गिरने का इंतजार किसे नहीं होता। पर जम्मू कश्मीर में इसका इंतजार रोजी रोटी से लेकर देश की सुरक्षा की खातिर हो रहा है। इंतजार करने वालों में अगर वे आम कश्मीरी भी हैं जिनका रोजगार अब बर्फ पर टिका है तो प्रदेश सरकार को भी। यही नहीं सुरक्षाबल भी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं कि बर्फ गिरे और वे घुसपैठ के पहाड़ी दर्रे बंद हो जाएं जहां से पाक सेना 37 सालों से आतंकियों को इस ओर धकेलेती आई है।
पहलगाम और गुलमर्ग में होटलवालों के लिए बर्फ का इंतजार सबसे ज्यादा है। दरअसल 22 अप्रैल को पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए घातक आतंकी हमले ने कश्मीर के पर्यटन की जो वाट लगाई थी कश्मीर अभी तक उससे उबर नहीं पाया है। सिर्फ आम कश्मीरी ही नहीं बल्कि प्रदेश सरकार भी इस हमले से बुरी तरह से प्रभावित हुई है।
22 अप्रैल के हमले के उपरांत कश्मीर की ओर बढ़ते सैलानियों के कदम ऐसे रूके की दावोें और न्यौतों के बावजूद वे अभी तक वापस नहीं मुढ़े हैं। हालांकि पर्यटकों के फिर से कश्मीर में लौट आने के दावों के बीच सच्चाई यह है कि अब प्रधानमंत्री ने लोगों से हिमालय के पहाड़ों की ओर इन सर्दियों मंे जाने की बात कह कर लोगों का उत्साह तो जरूर बढ़ाया है पर यह सुनिश्चित नहीं है कि पर्यटक कश्मीर का रूख उतनी संख्या मंें करेंगें जैसे वे बैसरन के हमले से पहले करते रहे थे।
इस हमले ने प्रदेश सरकार के यूटी से स्टेट का दर्जा पाने के सपने को भी तोड़ दिया था। ऐसा इसलिए क्योंकि केंद्र कहता था कि जब तक कश्मीर मंे हिंसा नहीं रूकेगी राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा। अर्थात न नौ मन तेल होगा और न ही राधा नाचेगी क्योंकि सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है और दोष प्रदेश सरकार के मत्थे मढ़ा जा रहा है।
इतना जरूर था कि बर्फ का इंतजार करने वाले सुरक्षाबलों का इंतजार जायज इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि सर्दी की शुरूआत से पहले पाक सेना हमेशा ही घुसपैठ के प्रयासों मंे जबरदस्त तेजी लाती रही है और उसके इन प्रयासों पर कम से कम 90 परसेंट रोक बर्फबारी जरूर लगाती रही है जो घुसपैठ के पारंपारिक दर्रों और रास्तों को ब्लाक कर देती है।
सेना और बीएसएफ के अधिकारी इसकी पुष्टि करते थे कि पाक सेना घुसपैठ को उतावली है और उन्हें शंका है कि पाक सेना इस बार भी बर्फबारी के बावजूद गैर पारंपारिक रास्तों से दो से तीन आतंकियों के दलों को इस ओर धकेलने के प्रयासों को जारी रखेगी जिनसे निपटने को सुरक्षा ग्रिड को और मजबूत किया जा चुका है।