दिल्ली ब्लास्ट केस : एनआईए ने जम्मू कश्मीर के कई इलाकों में आरोपियों के घरों पर फिर से की छापेमारी

दिल्ली ब्लास्ट केस में एनआईए ने जम्मू कश्मीर के कई इलाकों में आरोपियों के घरों पर छापेमारी की है। इस मामले में मुख्य आरोपी डाक्टर अदिल और अन्य के घरों पर जोरदार जांच हो रही है। एनआईए ने कुलगाम, शोपियां, काजीगुंड सहित कई जगहों पर छापेमारी की और आरोपियों से जुड़े सबूत जुटा रहे हैं;

Update: 2025-12-01 12:46 GMT

जम्मू। दिल्ली ब्लास्ट केस में एनआईए ने जम्मू कश्मीर के कई इलाकों में आरोपियों के घरों पर छापेमारी की है। इस मामले में मुख्य आरोपी डाक्टर अदिल और अन्य के घरों पर जोरदार जांच हो रही है। एनआईए ने कुलगाम, शोपियां, काजीगुंड सहित कई जगहों पर छापेमारी की और आरोपियों से जुड़े सबूत जुटा रहे हैं।

अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जम्मू कश्मीर पुलिस के साथ मिलकर सुबह दिल्ली के लाल किले पर 10 नवंबर को हुए कार बम विस्फोट मामले में बड़ी छापेमारी की। कश्मीर के शोपियां के नादिगाम, पुलवामा (कोयल), चंदगाम और अन्य इलाकों में एक साथ 10 ठिकानों पर दबिश दी गई। जांच एजेंसी ने बताया कि दिल्ली ब्लास्ट से जुड़े डा आमिर राशिद, डाक्टर अदील, डा मुजफ्फर सहित डा जसिफ और मौलवी इरफान के घर पर सर्च आपरेशन चल रहा है। जानकारी के लिए मौलवी इरफान, डा आमिर राशिद फिलहाल एनआईए की हिरासत में हैं। इनसे पूछताछ के बाद मिले सबूतों के आधार पर आगे की कार्रवाई हो रही है।

एनआईए के सूत्रों ने बताया कि इस सर्च आपरेशन का एक मात्र उद्देशय इस पूरे नेटवर्क को ‘व्हाइट कालर टेरोरिज्म’ माड्यूल का सफाया करना है। इसमें पढ़े-लिखे और पेशेवर लोग शामिल हैं। जांच एजेंसी के गिरफ्त में मौलवी इरफान, डाक्टर आमिर राशिद, डाक्टर अदील, डाक्टर मुजफ्फर और डाक्टर जसिफ जैसे लोग हैं। इनमें से कई की डिग्रियां मेडिकल और इंजीनियरिंग की हैं। वानी राजनीति विज्ञान का ग्रेजुएट है और पुलवामा के 28 साल के डाक्टर नबी के साथ मिलकर हमास स्टाइल ड्रोन हमले और छोटे राकेट बनाने की योजना बना रहा था।

जांच में खुलासा हुआ है कि वानी इस माड्यूल की तकनीकी रीढ़ था। उसने ड्रोनों में बदलाव किए, बैटरी और कैमरा सिस्टम को अपग्रेड किया और भीड़भाड़ वाले इलाकों में इस्तेमाल होने वाले छोटे विस्फोटक पेलोड तैयार किए। एनआईए की मानें तो ये डिजाइन हमास और मिडिल ईस्ट के आतंकी गुटों की रणनीतियों से मिलते-जुलते थे। पिछले साल अक्टूबर में कुलगाम की एक मस्जिद में वानी की मुलाकात डाक्टर नबी से हुई थी, जहां उसे जैश-ए-मोहम्मद के लिए काम करने को कहा गया, लेकिन नबी ने उसे आत्मघाती हमलावर बनाने की कोशिश की। अप्रैल 2025 में वानी ने फाइनेंसियल क्राइसिस और धार्मिक कारणों से पीछे हटने की कोशिश की, लेकिन टेक्निकल मदद देता रहा।

बताया जाता है कि लाल किला विस्फोट में इस्तेमाल आई20 कार डाक्टर आमिर राशिद अली के नाम पर रजिस्टर्ड थी। अली ने ही सुरक्षित ठिकाना मुहैया कराया था। उसकी गिरफ्तारी के बाद एनआईए को वानी और अन्य के ठिकानों का पता चला। अब तक पूछताछ में मिले सबूतों के आधार पर ये छापे पड़ रहे हैं। एजेंसी को शक है कि यह माड्यूल दिल्ली समेत कई बड़े शहरों में एक साथ हमले की फिराक में था।

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