इशरत जहां प्रकरण : मुझे न्याय मिला - पी पी पांडेय
मुठभेड़ प्रकरण में आरोपी राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक तथा तत्कालीन संयुक्त पुलिस आयुक्त पी पी पांडेय की आरोपमुक्ति अर्जी आज स्वीकार कर ली;
अहमदाबाद। गुजरात के अहमदाबाद में सीबीआई की एक विशेष अदालत ने इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ प्रकरण में आरोपी राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक तथा तत्कालीन संयुक्त पुलिस आयुक्त पी पी पांडेय की आरोपमुक्ति अर्जी आज स्वीकार कर ली।
अदालत के फैसले के बाद श्री पांडेय ने यूनीवार्ता से कहा कि वह देश की न्यायिक प्रणाली में पूरा भरोसा रखते हैं और इसने उन्हें न्याय दिया है।
विशेष न्यायाधीश जे के पंडया की अदालत ने इस साल जनवरी में दायर श्री पांडेय की अर्जी पर 6 जनवरी को ही सुनवाई पूरी कर ली थी और अपना फैसला सुरक्षित रखा था।
मुंबई की एक कॉलेज छात्रा 19 वर्षीय इशरत जहां तथा उनके पुरूष साथी जावेद शेख उर्फ प्रणयेश पिल्लई और दो पाकिस्तानी नागरिकों को गुजरात पुलिस ने 15 जून 2004 को अहमदाबाद के बाहरी इलाके में कथित मुठभेड़ में मार गिराया था। पुलिस का दावा था कि ये सभी लश्करे तैयबा के आतंकी थे जो तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की हत्या की नीयत से आये थे।
बाद में सीबीआई ने इस मामले को फर्जी मुठभेड़ करार दिया तथा इसमें तत्कालीन संयुक्त पुलिस आयुक्त और 1980 बैच के पूर्व आईपीएस अधिकारी श्री पांडेय के अलावा डी जी बंजारा, एन के अमीन और जी के सिंघल तथा तीन अन्य पुलिस अधिकारियों और गुप्तचर ब्यूरो के चार अधिकारियों को भी आरोपी बना दिया था। श्री पांडेय को इस मामले में जुलाई 2013 में गिरफ्तार किया गया था। लगभग 19 माह जेल में रहने के बाद फरवरी 2015 में जमानत मिलने के बाद उन्हें राजय सरकार ने सेवा में बहाल कर प्रोन्नति दी और बाद में उन्हें प्रभारी महानिदेशक भी बना दिया। उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद भी सेवा विस्तार देकर पद पर रखा गया था पर सुप्रीम कोर्ट में उनकी नियुक्ति को चुनौती देने वाली एक याचिका पर अदालत के कड़े रूख के बाद उन्होंने पिछले साल तीन अप्रैल को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
श्री पांडेय ने अपनी आरोप मुक्ति अर्जी में कहा कि उनके खिलाफ यह मामला केवल परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर दर्ज किया गया है। उनके खिलाफ कथित षडयंत्र का आरोप साबित नहीं होता। उन्होंने सीबीआई पर राजनीतिक कारणों (तत्कालीन यूपीए सरकार की ओर से दबाव की ओर इशारा) से गवाहों के बयान और साक्ष्यों को तोड़ मरोड़ कर किसी तरह उन्हें फंसाने का आरोप भी लगाया था1 दूसरी ओर, इशरत की मां शमीमा कौशर ने इस अर्जी का विरोध करते हुए आरोप लगाया कि श्री पांडेय उनकी बेटी से, जब उसे हत्या से पहले गैरकानूनी ढंग से बंदी बना कर रखा गया था, कई बार मिले थे। वह इस मामले के एक प्रमुख षडयंत्रकर्ता हैं। सीबीआई ने भी उनकी अर्जी का विरोध किया था।
हालांकि अदालत ने श्री पांडेय की दलील को मान्य रखते हुए उनकी आरोपमुक्ति अर्जी को स्वीकार कर लिया। समझा जाता है कि श्रीमती कौशर इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देंगी।