एआइ के बढ़ते खतरे पर OpenAI के सीईओ सैम आल्टमैन ने जताई चिंता, ‘हेड ऑफ प्रिपेयर्डनेस’ पद के लिए भर्ती का ऐलान

सैम आल्टमैन ने इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर बताया कि इस पद का मुख्य उद्देश्य एआइ से पैदा होने वाले खतरों को समय रहते पहचानना और उनसे निपटने की रणनीति तैयार करना होगा।;

Update: 2025-12-30 06:41 GMT
वाशिंगटन/सैन फ्रांसिस्को। ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) के तेजी से फैलते प्रभाव और उससे जुड़े संभावित खतरों को लेकर अब खुद ओपनएआइ के सीईओ सैम आल्टमैन खुलकर चिंता जता रहे हैं। एआइ को लेकर लंबे समय से वैश्विक स्तर पर बहस चल रही है, लेकिन पहली बार ओपनएआइ ने सार्वजनिक रूप से यह स्वीकार किया है कि एआइ के जोखिम केवल तकनीकी नहीं, बल्कि मानसिक और मनोवैज्ञानिक स्तर पर भी गंभीर हो सकते हैं। इसी पृष्ठभूमि में कंपनी ने ‘हेड ऑफ प्रिपेयर्डनेस’ नाम से एक अहम पद के लिए भर्ती की घोषणा की है।

खतरों की पहचान और रोकथाम होगी प्राथमिक जिम्मेदारी
सैम आल्टमैन ने इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर बताया कि इस पद का मुख्य उद्देश्य एआइ से पैदा होने वाले खतरों को समय रहते पहचानना और उनसे निपटने की रणनीति तैयार करना होगा। इस पद के लिए करीब 5.55 लाख डालर (लगभग पांच करोड़ रुपये) सालाना वेतन प्रस्तावित किया गया है, जबकि इक्विटी अलग से दी जाएगी। आल्टमैन के अनुसार, यह जिम्मेदारी बेहद तनावपूर्ण होगी, क्योंकि इसमें एआइ की संभावित विनाशकारी क्षमताओं को समझना और उन्हें नियंत्रित करने के उपाय विकसित करना शामिल है।

साइबर सुरक्षा से लेकर जैव सुरक्षा तक नजर
ओपनएआइ ने स्पष्ट किया है कि नया अधिकारी कंपनी की समग्र जोखिम प्रबंधन नीति की कमान संभालेगा। इसमें साइबर सुरक्षा, जैव सुरक्षा, और खुद को लगातार बेहतर बनाने वाले एआइ सिस्टम जैसे संवेदनशील क्षेत्रों पर खास फोकस रहेगा। आल्टमैन ने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती यह सुनिश्चित करना है कि साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ एआइ की ताकत का उपयोग सुरक्षा के लिए करें, न कि हैकर्स और हमलावर इसका दुरुपयोग कर सकें।

मानसिक स्वास्थ्य को लेकर बढ़ती चिंताएं
एआइ की उपयोगिता के बीच हाल के महीनों में इससे जुड़ी कई नकारात्मक घटनाएं सामने आई हैं। खासतौर पर मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एआइ चैटबॉट्स की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं। कुछ मामलों में आरोप लगाए गए हैं कि एआइ की सलाह ने हिंसक घटनाओं, आत्मघाती प्रवृत्तियों और भ्रमपूर्ण सोच को बढ़ावा दिया। चैटजीपीटी को लेकर भी कई मुकदमे दर्ज हुए हैं, जिनमें कहा गया है कि एआइ चैटबॉट ने किशोरों में आत्महत्या जैसी घटनाओं में अप्रत्यक्ष भूमिका निभाई या साजिशी सोच को हवा दी। एक मामले में तो मर्डर-सुसाइड तक के आरोप सामने आए हैं।

एआइ एजेंट बन रहे नई चुनौती
सैम आल्टमैन ने अपने पोस्ट में माना कि एआइ एजेंट बेहद तेजी से विकसित हो रहे हैं और यही भविष्य की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। उन्होंने स्वीकार किया कि एआइ आधारित साइबर हथियार आने वाले समय में गंभीर खतरा बन सकते हैं। ओपनएआइ के अनुसार, उसके कुछ उन्नत एआइ मॉडल अब कंप्यूटर सिस्टम की सुरक्षा में गंभीर कमजोरियां पहचानने में सक्षम हो चुके हैं। यह क्षमता जहां सुरक्षा को मजबूत कर सकती है, वहीं गलत हाथों में पड़ने पर यह खतरनाक हथियार भी बन सकती है।

प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के दावे बढ़ा रहे चिंता
एआइ से जुड़े साइबर खतरों को लेकर हाल ही में ओपनएआइ की प्रतिद्वंद्वी कंपनी एंथ्रोपिक ने भी बड़ा दावा किया था। कंपनी के अनुसार, चीन से जुड़े हैकर्स ने उसके एआइ टूल्स का इस्तेमाल कर दुनियाभर के करीब 30 संस्थानों टेक कंपनियों, वित्तीय संस्थानों और सरकारी एजेंसियों पर साइबर हमले किए। खास बात यह रही कि इन हमलों में मानवीय हस्तक्षेप बेहद कम था, जिससे एआइ की स्वायत्त क्षमताओं को लेकर चिंता और गहरी हो गई।

सुरक्षा पर बढ़ता जोर
इन तमाम घटनाओं के बीच ‘हेड ऑफ प्रिपेयर्डनेस’ की भर्ती को ओपनएआइ की रणनीति में बड़ा बदलाव माना जा रहा है। कंपनी अब एआइ के विकास के साथ-साथ उसकी सुरक्षा, सामाजिक प्रभाव और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर को भी समान महत्व देने का संकेत दे रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम एआइ उद्योग के लिए एक मिसाल बन सकता है, जहां नवाचार के साथ जिम्मेदारी को भी केंद्र में रखा जाएगा।

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