भारत में गुणवत्तापूर्ण एवं सस्ती शिक्षा की पहुंच बढ़ाने के लिए नवीन तरीके: केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय

भारत में गुणवत्तापूर्ण एवं सस्ती शिक्षा की पहुंच बढ़ाने के लिए केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय नवीन तरीके अपनाने पर जोर दे रहा है;

Update: 2022-06-29 01:51 GMT

नई दिल्ली। भारत में गुणवत्तापूर्ण एवं सस्ती शिक्षा की पहुंच बढ़ाने के लिए केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय नवीन तरीके अपनाने पर जोर दे रहा है। मंत्रालय भारत की विशाल आबादी को औपचारिक शिक्षा एवं प्रमाणित कौशल संरचना से जोड़ने की नीति बनाई जा रही है। केन्द्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को एक एजुकेशन कॉन्क्लेव 2022 को संबोधित किया। सभा को संबोधित करते हुए, केन्द्रीय मंत्री ने गुणवत्तापूर्ण एवं सस्ती शिक्षा की पहुंच बढ़ाने तथा हमारी विशाल आबादी को औपचारिक शिक्षा एवं प्रमाणित कौशल संरचना के तहत लाने के लिए नवीन व अनूठे तरीकों को अपनाने की जरूरत के बारे में बताया।

सुलभता के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा कि शिक्षा को सभी के लिए सुलभ बनाने के लिए मजबूत एवं लचीले तंत्र का निर्माण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्राथमिकता है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने में प्रौद्योगिकी-संचालित ²ष्टिकोण और एनईपी 2020 के अनुरूप डिजिटल विश्वविद्यालय जैसी पहल अहम होगी।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में बोलते हुए, उन्होंने कहा कि एनईपी 2020 ईसीसीई स्तर से लेकर प्रत्येक शिक्षार्थी की जरूरतों को पूरा करने और एक जीवंत एवं न्यायसंगत ज्ञान समाज के निर्माण से संबंधित ²ष्टिकोण एवं मार्ग निर्धारित करता है। उन्होंने कहा कि हम रोजगार संबंधी योग्यता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कौशल संबंधी शिक्षा को स्कूली एवं उच्च शिक्षा के साथ एकीकृत करने की दिशा में काम कर रहे हैं।

नौकरियों और कौशल के भविष्य के बारे में बोलते हुए, उन्होंने कहा कि नौकरियों की प्रकृति बदल रही है और आईआर 4.0 हमें अपनी विशाल आबादी को कौशल से लैस करने, उसके कौशल को उन्नत बनाने और उसे दोबारा कौशल से लैस करने की चुनौती और अवसर, दोनों, पेश करता है। हमें कौशल से लैस करने की प्रक्रिया में एक व्यापक बदलाव लाना चाहिए और इसे आईआर 4.0 का उपयोग करने के साथ-साथ अपने युवाओं को भविष्य के लिए तैयार करने की ²ष्टि से और अधिक प्रेरक बनाना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि एनईपी 2020 हमारे छात्रों एवं युवाओं को नए युग के विचारों एवं कौशल से लैस एक वैश्विक नागरिक के रूप में विकसित करने का रास्ता अपनाता है और भारत को 21वीं सदी की ज्ञान अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करने के लिए भारतीय भाषाओं में सीखने को प्राथमिकता देता है।

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