मानवता व शरणार्थी विधि दोनों का जनक है भारत : मौर्य
लॉयड लॉ कॉलेज में अंतरराष्ट्रीय मानवता विधि व शरणार्थी विधि विषय पर दो दिवसीय कांफ्रेस का आयोजन हुआ, कार्यक्रम में विभिन्न महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालय के प्रवक्ता एवं शोधार्थी पेपर प्रस्तुत करन;
ग्रेटर नोएडा। लॉयड लॉ कॉलेज में अंतरराष्ट्रीय मानवता विधि व शरणार्थी विधि विषय पर दो दिवसीय कांफ्रेस का आयोजन हुआ, कार्यक्रम में विभिन्न महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालय के प्रवक्ता एवं शोधार्थी पेपर प्रस्तुत करने पहुंचे।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि स्वामी प्रसाद मौर्य, कैबिनेट मंत्री, श्रमिक व रोजगार, उत्तर प्रदेश शामिल हुए। अन्य अतिथि बीके. रॉय, डिप्टी श्रमिक कमिशनर, श्रम विभाग, उत्तर प्रदेश एवं एमके. बालचरण, प्रवक्ता व सुरिंदर कौर वर्मा महासचिव, इंडियन सोसाइटी ऑफ इंटरनेशनल लॉ शामिल हुए।
मुख्य अतिथि स्वामी प्रसाद मौर्य ने संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अंतराष्ट्रीय मानवता विधि ने एक अलग ही रूप ले लिया है। आज हम कई प्रकार के राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय संघर्ष देखते हैं जो कि बढ़ते ही जा रहे हैं। ऐसे में हर राष्ट्र का दायित्व बनता है कि वह अंतराष्ट्रीय मानवता विधि के प्रावधानों को समुचित प्रकार से लागू करे, जिससे की इन संघर्षों का मानव तथा मानवाधिकारों पर पड़ने वाले कुप्रभावों को काम किया जा सके।
अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी विधि विभिन्न राष्ट्रों द्वारा सृजित की गई एक विधि व्यवस्था है जो की हिंसा से पीड़ित शरणार्थियों को शरण देने के लिए बनाई गई है। भारत ने सदैव अंतराष्ट्रीय मानवता विधि के सिद्धांतों का समर्थन किया है।
मानवता विधि एवं शरणार्थी विधि दोनों का जनक भारत ही है। देश की मजबूती का आधार मजदूर हैं, मजदूरों और उनके परिवार के विकास पर भी सरकार के साथ प्राइवेट संस्थाओं, पूंजीपतियों व सामाजिक संस्थाओं को भी आगे आना चाहिए क्योंकि मजदूर की मजबूती से ही देश का विकास मजबूत होगा। उत्तर प्रदेश सरकार मजदूरों के विकास और युवाओं के रोजगार की वृद्धि के लिए भी नीतियां बना रही है। भारत प्राचीनकाल से ही वसुधव कुटुंबकम की नीति पर चल रहा है। कॉलेज के प्रेसिडेंट मनोहर थिरानी ने कहा की आज का समय किसी भी कार्य के लिए केवल एक देश तक सीमित नहीं है।
सभी विषय एवं मुद्दे अंतररष्ट्रीय हो रहे हैं, वही देश सफलता और विकास की और उन्मुख है, जिसके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा से ज्यादा मित्र देश हैं। ये दोनों विषय आज वैश्विक पटल पर मुख्य विषय के रूप में उभर रहे हैं और इन पर चर्चा परमावश्यक हो गई है। विभिन्न विश्वविद्यालयों से आए प्रवक्ता एवं शोधार्थियों ने शोधपत्र प्रस्तुत किए।