2024-25 में भारत हासिल कर सकता है 7.2 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि दर : रिपोर्ट

फाइनेंशियल एडवाइजरी फर्म डेलॉइट की मानें तो वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की अर्थव्यवस्था की जीडीपी वृद्धि दर 7 से 7.2 प्रतिशत होने की उम्मीद है, जो कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार, मजबूत विनिर्माण, मजबूत बैंक बैलेंस शीट और बढ़े हुए निर्यात की वजह से संभव हो सकती है;

Update: 2024-08-06 18:15 GMT

नई दिल्ली। फाइनेंशियल एडवाइजरी फर्म डेलॉइट की मानें तो वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की अर्थव्यवस्था की जीडीपी वृद्धि दर 7 से 7.2 प्रतिशत होने की उम्मीद है, जो कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार, मजबूत विनिर्माण, मजबूत बैंक बैलेंस शीट और बढ़े हुए निर्यात की वजह से संभव हो सकती है।

डेलॉइट के 'भारत आर्थिक आउटलुक' के अगस्त महीने के अपडेट में कहा गया है कि केंद्रीय बजट 2024-25 में कृषि उत्पादकता में सुधार, युवाओं के लिए रोजगार पैदा करने और विनिर्माण क्षेत्र में कई पहलों से आपूर्ति पक्ष में सुधार, मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने और विशेष रूप से उपभोक्ता खर्च को बढ़ाने में मदद मिलेगी। खासकर यह ग्रामीण क्षेत्रों में होगा।

रिपोर्ट के अनुसार, यह भरोसा कायम है, क्योंकि भारत ने वित्त वर्ष 2023-2024 में 8.2% की वृद्धि दर्ज की है, जो लगातार तीसरे वर्ष सभी अपेक्षाओं से अधिक है। मजबूत विकास के बीच, ग्रामीण और शहरी भारत दोनों में खर्च के नए पैटर्न उभरकर सामने आए हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि टिकाऊ वस्तुओं (ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक सामान सहित) के साथ-साथ सेवाओं पर खर्च करने की दिशा में एक बड़ा बदलाव आया है, जैसा कि 'घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण-2022-23' द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है। यह उपभोग की संरचना में व्यापक बदलाव की ओर इशारा करता है, जिसमें गैर-खाद्य और विवेकाधीन वस्तुएं शामिल हैं, जो बदलती जीवनशैली और प्राथमिकताओं को दर्शाता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि उपभोक्ताओं की बढ़ती संख्या, नए व्यावसायिक अवसर पैदा कर रहा है।

डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा, ''साल के पहले छह महीनों में अनिश्चितता के दौर के बाद दूसरी छमाही में भारत में मजबूत वृद्धि देखी जाएगी।''

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए डेलॉइट इंडिया का विकास अनुमान आरबीआई के 7.2 प्रतिशत के विकास पूर्वानुमान के एकदम करीब है।

वित्त मंत्रालय के आर्थिक सर्वेक्षण में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के कारण उत्पन्न वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण गिरावट के जोखिम को ध्यान में रखते हुए जीडीपी विस्तार 6.5-7 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान लगाया गया है।

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