हरियाणा में किसानों ने फूंके पुतले, किया प्रदर्शन
किसान आंदोलन के आज छह माह पूरे हाेने के उपलक्ष्य में काला दिवस मनाने के संयुक्त किसान मोर्चा के आहवान पर किसानों ने हरियाणा में आज विभिन्न जगहों पर प्रदर्शन और पुतले दहन किये;
चंडीगढ़। केंद्रीय कृषि कानूनाें के विरोध में हरियाणा, पंजाब और दिल्ली के सीमावर्ती क्षेत्रों में जारी किसान आंदोलन के आज छह माह पूरे हाेने के उपलक्ष्य में काला दिवस मनाने के संयुक्त किसान मोर्चा के आहवान पर किसानों ने हरियाणा में आज विभिन्न जगहों पर प्रदर्शन और पुतले दहन किये।
किसानों के काला दिवस को लेकर राज्य सरकार ने कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिये पुलिस के विशेष प्रबंध किये जाने के साथ ड्यूटी मजिस्ट्रेट की भी तैनाती की गई थी। धरना, प्रदर्शन और पुतले दहन करने के अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सिरसा में किसान भूमणशाह चौक पर एकत्रित होकर किसान नेता लखविंद्र सिंह औलख के नेतृत्व में राज्य के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की ओर बढ़ने का प्रयास किया। इस दौरान वहां तैनात पुलिस अधिकारियों ने समझाने का प्रयास किया लेकिन इसके बावजूद किसानों ने उप मुख्यमंत्री आवास की ओर जाते मार्ग पर लगाये गये अवरोधकों को तोड़ डाला और अंदर घुस गये। किसानों की इस दौरान पुलिस से झड़प भी हुई। किसानों ने वहां नारेबाजी कर देश और प्रदेश के नेताओं के पुतले दहन किये। अनके किसान इस दौरान हाथों में काले झंडे लिये हुये थे।
वहीं संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं का कहना है कि कृषि कानून रद्द कराने के लिये सरकार पर दबाव बनाना जरूरी है। बड़ी संख्या में किसान दिल्ली बॉर्डर पर भी पहुंचे हैं। इससे पहले सुबह किसानों ने सिरसा के शहीद भगत सिंह स्टेडियम में पक्का मोर्चा पर एकत्रित होकर बुद्ध पूर्णिमा मनाई और इसके बाद जलूस की शक्ल में भूमणशाह चौक पहुंचे। किसानों ने सिरसा बाइपास रोड पर स्थित किसान चौक पर प्रदर्शन का नेतृत्व किसान नेता प्रहलाद सिंह भारूहेड़ा ने किया। किसानों ने साहूवाला गांव, डबवाली, पंजुआना, भावदीन टोल प्लाजाओं पर भी विरोध प्रदर्शन किये। काला दिवस पर किसानों ने राज्य मे अपने घरों पर भी काले झंडे लहराए। भारूखेड़ा ने कहा कि कृषि कानून रद्द होने तक किसान आंदोलन जारी रहेगा।
राज्य के पंचकूला जिले में कालका-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग पर टोल प्लाज़ा पर भी किसान काले झंडे लेकर एकत्रित हुये तथा वहां प्रदर्शन किया तथा केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। किसानों ने केंद्र से कृषि कानून वापिस लेने की मांग की।