देश में शुरू हुई बीटी बैंगन की अवैध खेती
देश में साल 2010 से बीटी बैंगन के उत्पादन पर रोक लगी है, उसके बाद भी यह गैर कानूनी तरीके से उगाया जा रहा है। कृषि विशेषज्ञों का दावा;
नई दिल्ली। देश में साल 2010 से बीटी बैंगन के उत्पादन पर रोक लगी है, उसके बाद भी यह गैर कानूनी तरीके से उगाया जा रहा है। कृषि विशेषज्ञों का दावा है, कि हरियाणा के एक किसान के खेत में उन्होंने बैंगन की एक ऐसी प्रजाति का पता लगाया है, जिसकी जांच के बाद उसका जीएम होने की संभावना है। इस फसल को जांच के लिए भेज दिया गया है, साथ ही राज्य व केन्द्र सरकार की संस्था जीईएसी से इस पर रोक लगाने और इसे फसल को तत्काल नष्ट करने की मांग की है।
पत्रकारों से चर्चा के दौरान कृषि विशेषज्ञ राजेन्द्र चौधरी ने दो अलग-अलग जगहों से लिए बैंगन का परीक्षण कर दिखाया। उन्होंने बताया, कि उन्हें इसकी जानकारी किसानों के माध्यम से मिली है, जिस किसान के खेत में यह फसल पाई गई है, उसने पिछली साल भी इसी बीज का प्रयोग किया है। श्री चौधरी बताते हैं, कि किसान ने उन्हें बताया, कि उसे नर्सरी तक नहीं ले जाया गया, बीज उसे बस स्टैंड पर लाकर दिया गया, इसलिए वह नहीं जानता, कि यह बीज कौन की कंपनी बेच रही है। उनका कहना है, कि इस तरह के बीज मोनसेन्टो और महिको ने ही बनाया है, अब यह सरकार का काम है, कि वह पूरे नेटवर्क का पता करे।
गुजरात से आए कपिल शाह का कहना है, कि यह चौथा मामला है, सरकार की संस्था जीईएसी की भूमिका पूरे मामले में काफी उपेक्षापूर्ण है। इससे पहले 2017 में जब गुजरात में एचटी सोया का अवैध उत्पादन पाया गया था, तब राज्य सरकार ने तो कार्रवाई की, पर जीईएसी की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई। उनका कहना है, कि इस तरह के मामले में किसानों पर कार्रवाई की जाती है, जबकि जरुरत बीज विक्रेता के नेटवर्क पर कार्रवाई करने की है। उन्होंने कहा, कि बीटी बैंगन की बिक्री दिल्ली के बाजार में हो रही है, इसलिए इस शहर को सावधान रहने की अधिक जरुरत है।
पर्यावरण के लिए खतरनाक है बीटी बैंगन केरल के राधाकृष्णन का कहना था, कि बीटी बैंगन केवल इंसानों के लिए ही नहीं, पर्यावरण के लिए भी खतरनाक है, कंपनियां अभी तक इसकी सुरक्षा को लेकर अपने दावों को पुष्ट नहीं कर पाई हैं।