वित्त मंत्री होता तो नोटबंदी लागू करने की बजाय इस्तीफा दे देता : चिंदबरम

वरिष्ठ कांग्रेस नेता तथा पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिंदबरम ने आज कहा कि नोटबंदी और जीएसटी ने अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया है;

Update: 2017-10-28 23:55 GMT

राजकोट। वरिष्ठ कांग्रेस नेता तथा पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिंदबरम ने आज कहा कि नोटबंदी और जीएसटी ने अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया है और अगर नोटबंदी के फैसले को लागू करने के समय वह वित्त मंत्री रहे होते तो इसे लागू करने की बजाय उन्होंने इस्तीफा दे दिया होता। श्री चिदंबर में आज यहां हेमू गढवी हॉल में व्यापरियों के साथ चर्चा की और इसके बाद पत्रकारों से भी बातचीत की।

उन्होंने कहा, ‘अगर मै वित्त मंत्री होता और प्रधानमंत्री ने मुझे नोटबंदी लागू करने को कहा होता तो मै खुद ही इस्तीफा दे देता।’ श्री चिदंबरम ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था 2004 से 2009 के बीच 8.5 प्रतिशत की दर से बढ रही थी पर 2014 से इसमें भारी गिरावट है। वित्त मंत्री अरूण जेटली कहते है कि अर्थव्यवस्था के बडे घटक मजबूत है पर अगर ऐसा है तो छह लाख करोड के भारतमाला कार्यक्रम और बैंकों के पुनर्पूंजीकरण की जरूरत क्यों पड रही है। असल में देश में मंदी नोटबंदी के चलते है।

नोटबंदी से कोई कालाधन नहीं पकडा जा सका है। इसका कोई उद्देश्य पूरा नहीं हुआ है। उल्टे इसने छोटे और मझौले उद्योगों को ध्वस्त कर दिया है इसीलिए रोजगार के नए अवसर नहीं पैदा हो पा रहे हैं। रोजगार के अधिक अवसर बडे उद्योगों से नहीं बल्कि छोटे और मझौले उद्योगों से ही पैदा होते हैं। देश अभी नोटबंदी की मंदी से उबरा भी नहीं था तब तक सरकार ने यह ‘महान’ जीएसटी थोप दिया। अनेक दर वाली इस प्रणाली को कुछ भी कहा जा सकता है पर जीएसटी नहीं। इसमें 18 प्रतिशत से अधिक कर दर होना ही नहीं चाहिए। जीएसटी अपने आप में बुरा नहीं है पर इससे जुडा जो कानून बनाया गया है वह बुरा है। इसने भी अर्थव्यवस्था को खासा नुकसान पहुंचाया है।

उन्होंने कहा कि देश में अर्थव्यवस्था की विकास दर 5.7 प्रतिशत से नीचे नहीं जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि छाया अर्थव्यवस्था यानी शैडो इकॉनोमी से निपटने के लिए नोटबंदी नहीं बल्कि बेहतर कर प्रणाली इलाज है। नोटबंदी तो घर में घुसे एक मच्छर को मारने के लिए पूरे घर को जला देने जैसा कदम है। श्री चिदंबरम ने कहा कि जीएसटी कानून के चलते यह कर प्रणाली गब्बरसिंह टैक्स बन गई जबकि कांग्रेस के समय में लाये गये वैट का कोई विरोध नहीं हुआ था क्योंकि इसे बनाने के लिए कडी मेहनत की गई थी।

बुलेट ट्रेन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि एक लाख करोड की यह परियोजना गलत प्राथमिकता का नतीजा है। इसकी बजाया हमे एक करोड रूपये हर स्कूल को देने चाहिए। हमारी प्राथमिकता बुलेट ट्रेन नहीं बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार आदि है।

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