गृह मंत्रालय से रोहिंग्या मुसलमानों पर जारी एडवाइजरी पर पुनर्विचार का आग्रह

कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव (सीएचआरआई) ने शनिवार को गृह मंत्रालय से आग्रह किया कि वह भारत में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों को वापस म्यांमार भेजने को लेकर जारी एडवाइजरी पर पुनर्विचार करे;

Update: 2017-08-27 22:34 GMT

नई दिल्ली। कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव (सीएचआरआई) ने शनिवार को गृह मंत्रालय से आग्रह किया कि वह भारत में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों को वापस म्यांमार भेजने को लेकर जारी एडवाइजरी पर पुनर्विचार करे। गृह मंत्रालय ने यह एडवाइजरी 8 अगस्त को जारी की और इसमें म्यांमार के रखाइन प्रांत के अवैध प्रवासियों (रोहिग्या मुसलमान) की पहचान करने और उन्हें वापस भेजने की बात कही गई है।

सीएचआरआई ने अपने बयान में कहा है कि रोहिग्या मुसलमानों पर सरकार की एडवाइजरी भारतीय संविधान के प्रावधानों के साथ अंतर्राष्ट्रीय नियमों के भी विपरीत है।

सीएचआरआई ने कहा है कि भारत सिविल एवं राजनीतिक अधिकारों की अंतर्राष्ट्रीय संधि (आईसीसीपीआर) के अनुच्छेद 6 से जुड़ा हुआ है जो जीवन के अधिकार की बात करता है।

सीएचआरआई के निदेशक संजय हजारिका ने बयान में कहा है कि उत्पीड़न के कारण किसी देश से भागकर आने वाले शरणार्थियों व आव्रजकों को वापस उसी देश में नहीं भेजने के अंतर्राष्ट्रीय सिद्धांत के तहत शरणार्थियों को वहां नहीं भेजा जा सकता जहां घोर मानवाधिकार उल्लंघन की स्थितियां बनी हुईं हों।

सीएचआरआई के जेल सुधार कार्यक्रम की समन्वयक मधुरिमा धानुका ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत किसी भी देश को अपनी जमीन से विदेशियों को निकालने की अनुमति है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि इन लोगों को जिस देश भेजा जा रहा है वह उनकी नागरिकता को मानता हो। चूंकि म्यांमार रोहिंग्या मुसलमानों को अपना नागरिक नहीं मानता है, ऐसे में भारत सरकार के लिए यह असंभव हो जाता है कि वह उन्हें वापस भेज सके। ऐसे में यह एडवाइजरी खुद ही निष्प्रभावी हो जाती है।

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