मौसम बदला, बीमारियां बढ़ीं : इम्युनिटी से लेकर स्किन तक पर पड़ता है असर, जानें वजह क्या

मौसम का बदलना हमारे शरीर के लिए हमेशा आसान नहीं होता। जैसे ही गर्मी से बरसात या बरसात से ठंडक की ओर हम बढ़ते हैं, बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है;

Update: 2025-09-25 16:24 GMT

नई दिल्ली। मौसम का बदलना हमारे शरीर के लिए हमेशा आसान नहीं होता। जैसे ही गर्मी से बरसात या बरसात से ठंडक की ओर हम बढ़ते हैं, बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इसका सीधा असर हमारी इम्युनिटी, सांस और स्किन पर दिखाई देता है।

इस समय सबसे ज्यादा लोग खांसी-जुकाम, गले में खराश और बुखार से परेशान रहते हैं। समस्या यह है कि अक्सर यह समझना मुश्किल हो जाता है कि तकलीफ वायरल इंफेक्शन से है या एलर्जी से।

वायरल में आमतौर पर बुखार और शरीर में दर्द जुड़ा होता है। एलर्जी में छींक, नाक बहना और आंखों में पानी जैसी तकलीफ ज्यादा होती है। डॉक्टर्स सलाह देते हैं कि लगातार 3–4 दिन लक्षण बने रहने पर टेस्ट और जांच करानी चाहिए।

बदलते मौसम में हवा की नमी और तापमान में उतार-चढ़ाव,अस्थमा पेशेंट्स के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण साबित होते हैं। 2023 की जर्नल ऑफ अस्थमा में छपी एक स्टडी में पाया गया कि मौसम के ट्रांजिशन पीरियड में अस्थमा अटैक की संभावना 30 फीसदी तक बढ़ जाती है। ठंडी हवा में मौजूद धूलकण सांस की नली को और ज्यादा संकुचित कर देते हैं।

जैसे ही मौसम ठंडा होना शुरू होता है, स्किन ड्राईनेस, डैंड्रफ और फंगल इंफेक्शन तेजी से बढ़ने लगते हैं। दूसरी तरफ, बुजुर्गों और गठिया से पीड़ित लोगों को जोड़ों में अकड़न और दर्द महसूस होने लगता है। कई रिसर्च में यह पाया गया है कि ठंडे तापमान और लो-प्रेशर वातावरण के कारण जोड़ों के टिश्यूज सिकुड़ जाते हैं, जिससे दर्द और स्टिफनेस बढ़ती है। तो आखिर वो उपाय क्या हैं जिनसे अपनी इम्युनिटी बढ़ा सकें और दिक्कतों को बाय-बाय कह सकें!

शोध बताते हैं कि बदलते मौसम में विटामिन सी और जिंक युक्त आहार (नींबू, आंवला, गुड़, हरी सब्ज़ियां) इम्युनिटी बढ़ाते हैं। गुनगुना पानी पानी से और भाप लेने से सांस संबंधी दिक्कतों से बच सकते हैं, तो मॉइस्चराइजर और एंटी-फंगल केयर स्किन को सुरक्षित रख सकता है। सबसे अहम बात सर्दियों की शुरुआत में हल्की एक्सरसाइज और धूप जोड़ों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।

हम मौसम को बदलने से रोक नहीं सकते, लेकिन हां, अपनी सेहत को बिगड़ने से रोक तो सकते हैं। बस दो-चार आसान से उपाय और ट्रांजिशन पीरियड को बड़ी सहजता से आप कह पाएंगे हैलो एंड हाय!

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