सर्दियों में अस्थमा से डरने नहीं, लड़ने की जरूरत, आयुर्वेद से जानें कैसे दें मात

सर्दी का मौसम अस्थमा के मरीजों की मुश्किलें बढ़ा देता है। ठंडी-नम हवा, प्रदूषण और कमजोर इम्यूनिटी के कारण सांस लेना तक मुश्किल हो जाता है;

Update: 2025-12-05 03:36 GMT

नई दिल्ली। सर्दी का मौसम अस्थमा के मरीजों की मुश्किलें बढ़ा देता है। ठंडी-नम हवा, प्रदूषण और कमजोर इम्यूनिटी के कारण सांस लेना तक मुश्किल हो जाता है। लेकिन, आयुर्वेद बताता है कि सरल तरीके से सांस के रोग को मात दिया जा सकता है।

भारत सरकार के आयुष मंत्रालय का कहना है कि सर्दियों के आते ही अस्थमा से डरने की नहीं, लड़ने की जरूरत है। आयुर्वेद की मदद से अस्थमा को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है और पूरी सर्दी बिना दिक्कत के गुजारी जा सकती है।

आयुर्वेद में अस्थमा को 'तमक श्वास' कहा जाता है। यह तब होता है जब शरीर में कफ और वात दोष का संतुलन बिगड़ जाता है। इसके मुख्य लक्षण में सांस लेते वक्त घरघराहट, सांस फूलना, सीने में जकड़न और रात में खांसी का बढ़ना हैं। इसके पीछे कारण भी कई हैं, जैसे कमजोर पाचन तंत्र, शरीर में जमा विषाक्त पदार्थ (आम), ठंडा-नम मौसम, गलत खान-पान और मानसिक तनाव।

आयुर्वेद के अनुसार सही इलाज और थोड़े से बदलाव से अस्थमा को पूरी तरह काबू में लाया जा सकता है। इसके साथ ही मंत्रालय आयुर्वेदिक उपचार के बारे में जानकारी देते हुए तुरंत राहत के उपाय भी बताता है। अस्थमा में राहत के लिए वसाका (अडूसा), पिप्पली और तुलसी का सेवन करना फायदेमंद होता है। ये फेफड़ों को मजबूत बनाती हैं और कफ को बाहर निकालती हैं।

पंचकर्म भी बेहद फायदेमंद है। वमन, विरेचन जैसी प्रक्रियाएं शरीर से जमा कफ और विषाक्त पदार्थ निकालकर सांस की नलियों को साफ करती हैं। इसके अलावा, घरेलू नुस्खे से भी राहत मिल सकती है। गर्म पानी में हल्दी-शहद मिलाकर पीना, अदरक-तुलसी की चाय और भाप लेना सांस के रोगी को आराम देता है।

छोटे-छोटे बदलाव और आयुर्वेदिक उपचार अपनाने से सर्दियों में भी सांस के मरीज स्वस्थ रह सकते हैं। रोजाना के आसान बदलाव जैसे गर्म, हल्का और पौष्टिक खाना खाएं और ठंडी, भारी, तली चीजें बिल्कुल न लें। सुबह हल्का व्यायाम और प्राणायाम करें।

एक्सपर्ट से सलाह लेकर अनुलोम-विलोम, भस्त्रिका, कपालभाति जरूर करें। कमरे में नमी कम रखें, गर्म कपड़े पहनें और धुएं-धूल से बचाव करें।

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