संसदीय सचिवों की नियुक्ति मामले में सरकार को नोटिस
बिलासपुर ! राज्य सरकार द्वारा 11 संसदीय सचिवों की नियुक्ति के मामले में हाईकोर्ट ने राज्य शासन, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव प्रमुख सचिव प्रशासन सहित 11 संसदीय सचिवों को नोटिस जारी कर 8 सप्ताह में;
8 हफ्ते में जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश
नियुक्तियों को याचिका में बताया गया है असंवैधानिक
बिलासपुर ! राज्य सरकार द्वारा 11 संसदीय सचिवों की नियुक्ति के मामले में हाईकोर्ट ने राज्य शासन, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव प्रमुख सचिव प्रशासन सहित 11 संसदीय सचिवों को नोटिस जारी कर 8 सप्ताह में जवाब पेश करने का आदेश दिया है। अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी।
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजय के अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने एक जनहित याचिका पर मुख्य सचिव की मार्फत मुख्यमंत्री और सभी 11 संसदीय सचिवों को जवाब के लिए पहले ही नोटिस जारी किया था। यह जनहित याचिका एक सामाजिक कार्यकर्ता राकेश चौबे ने दायर की है। इस मामले में कांग्रेस के पूर्व विधायक मोहम्मद अकबर ने एक रिट पीटिशन भी दायर की है। हाईकोर्ट ने रिट पीटिशन को जनहित याचिका के रुप में मर्ज कर लिया है। याचिका कर्ताओं के अधिवक्ता अभ्युदय सिंह ने कोर्ट को बताया कि संविधान के अनुसार मंत्रियों का पद विधानसभा सदस्यों की कुल संख्या के 15 फीसदी से अधिक नहीं हो सकती। संविधान में संसदीय सचिव का कोई पद नहीं है। राज्य शासन ने संसदीय सचिव का पद नाम देकर अपने खास लोगों को सुविधाएं मुहैया करा रही है, जो एक मंत्री को मिलती है। संसदीय सचिवों को मुख्यमंत्री द्वारा बिना किसी संवैधानिक अधिकार के शपथ भी दिलाई गई। हाईकोर्ट ने युगलपीठ ने संवैधानिक व्यवस्था पर याचिकाकर्ताओं का पक्ष स्वीकार करते हुए राज्य शासन मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव प्रमुख सचिव प्रशासन सहित 11 संसदीय सचिवों को जवाब के लिए 8 सप्ताह का अंतिम अवसर दिया है। अगली सुनवाई 27 अप्रेल को होगी।
राज्य सरकार द्वारा जिन 11 संसदीय सचिवों की नियुक्ति की गई है, उनमें अंबेश नांगड़े, लालचंद बाफना, लखन देवांगन, मोतीराम चंद्रवंशी, रुप कुमारी चौधरी, शिवशंकर पैकरा, सुनीति सत्यानंद, राठिया, तोखन साहू, राजू सिंह क्षत्री, चंपादेवी पावले और गोवर्धन मांझी शामिल हैं।