मुआवजा मिली, न रेलवे में नौकरी
रेलवे में नौकरी पाने के लिए आंदोलनरत किसानों ने कांकेर जिले के दौरे पर आये मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को भी अपनी परेशानी बताई है;
रेल लाईन परियोजना के नाम पर किसानों की 75 प्रतिशत जमीन अधिग्रहित
डौण्डी/भानुप्रतापपुर। एक तरफ रेल मंत्रालय रेलवे विभागों में 90 हजार पदों में रेलवे कर्मचारियों की नियुक्ति कर सभी पदों को भरने की बात कर रहा है तो दूसरी तरफ दल्लीराजहरा रावघाट रेल लाईन परियोजना के अंतर्गत कांकेर जिले में वर्ष 2009 में किसानों की जमीन अधिग्रहित करने के बाद नियमों का हवाला देकर किसान परिवार के एक भी सदस्य को रेलवे में नौकरी न देकर उनके साथ छलावा कर रहा है। रेलवे में नौकरी पाने के लिए आंदोलनरत किसानों ने कांकेर जिले के दौरे पर आये मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को भी अपनी परेशानी बताई है जिस पर मुख्यमंत्री ने इस मामले में रेलवे अधिकारियों से चर्चा करने का भरोसा किसानों को दिया है।
दल्लीराजहरा रावघाट रेल लाईन परियोजना के अंतर्गत रेल पटरी बिछाने के लिए वर्ष 2009 में अपनी जमीन देने वाले किसान आज तक अपनी जमीन का मुआवजा पाने और जमीन देने के बदले में रेलवे में नौकरी पाने के लिए इंतजार कर रहे हैं लेकिन उनका यह इंतजार समाप्त नहीं हो रहा है और उल्टे नौकरी देने के नाम पर अलग अलग जिले में रेलवे के बदलते नियमों के चलते उनकी परेशानियां बढ़ गई है।
रेलवे द्वारा नौकरी देने में आनाकानी करने से आक्रोशित होकर किसान परिवारों ने भानुप्रतापपुर में बिछी रेलपांत में बैठकर अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन एवं क्रमिक भूख हड़ताल जारी रखा है। अपने जायज हक के लिए जारी किसानों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान नेता चंद्रशेखर यदु सहित गंगाप्रसाद देहारी,धनाभीराम दुग्गा,नंदलाल जायसवाल,बासन नरेटी,प्रतिमा यदु,रंजना दर्रो सहित प्रदर्शनकारी प्रभावित किसानों ने कहा कि कांकेर जिले में वर्ष 2009 में किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई थी इसके आधार पर रेलवे विभाग द्वारा दैनिक समाचार पत्र एवं नौकरी के लिए आवेदन पत्र मेें 8 अप्रैल 2011 को अधिसूचना जारी किया गया।
जिसमें यह उल्लेखित है कि जिस भी किसान के जमीन का एक भी भाग रेल लाईन परियोजना के लिए शासन द्वारा अधिग्रहित किया जाता है तो उस किसान परिवार के एक सदस्य को रेलवे विभाग में नौकरी के साथ मुआवजा दिया जाएगा।
किसान नेता चंद्रशेखर यदु ने कहा कि इस परिप्रेक्ष्य में बालोद जिला में अनपढ़ किसानों को भी जमीन का एक छोटा सा भाग देने पर भी रेलवे विभाग में नौकरी दिया गया और मुआवजा भी प्रदान किया जा चुका है लेकिन कांकेर जिला में पांचवीं अनुसूची लागू है। लगभग 98 प्रतिशत आदिवासी किसानों का जमीन अधिग्रहित किया गया है और 9 वर्ष बीतने के बावजूद आज तक किसी भी किसान परिवार के सदस्य को रेलवे मेंं नौकरी नहीं दिया गया है।
बल्कि अब नौकरी देने के लिए नये नियम बना दिये गये है। पहले के पत्र मेें उल्लेखित था कि दल्लीराजहरा रावघाट रेल लाईन परियोजना मेें जिन किसानों ने अपनी जमीन का एक छोटा सा हिस्सा दिया है उस किसान को मुआवजा के साथ साथ किसान परिवार के एक सदस्य चाहे अनपढ़ भी हो को प्रशिक्षण उपरांत रेलवे में नौकरी दी जायेगी लेकिन अब रेलवे के अधिकारी नये नियम बता रहे हैं कि जिन किसानों की जमीन का 75 प्रतिशत भाग रेल लाईन परियोजना मेंं अधिग्रहित की गई है उन किसान परिवार केे सदस्य को रेलवे में नौकरी दी जायेगी लेकिन इसके लिए किसान परिवार के उक्त सदस्य को कक्षा 10 वीं उत्तीर्ण होना आवश्यक है।
रेलवे अधिकारी इसे अपनी गल्ती बताते हुए स्वीकार भी कर रहे हैं,इस तरह देखा जा रहा है कि दल्लीराजहरा रावघाट रेल लाईन परियोजना तो एक ही है लेकिन बालोद जिले एवं कांकेर जिले के किसानों को जमीन का मुआवजा देने और नौकरी देने के नाम पर नियमों को बदला जा रहा है जो सरासर गलत हैं एवं कांकेर जिले के किसानों के साथ अन्याय है।
मुख्यमंत्री ने चर्चा का दिया भरोसा:हाल ही में कांकेर जिले के दौरे में आये मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा सर्किट हाउस कांकेर में जन दरबार कार्यक्रम रखा गया था जहां मुख्यमंत्री से मिलकर किसान प्रतिनधि मण्डल द्वारा मुख्यमंत्री को अपनी समस्याओं का ज्ञापन देते हुए पूरी परेशानी व समस्या बताई गई।
ज्ञापन में मांग की गई है कि इस संबंध में त्वरित एवं उचित कार्यवाही करते हुए किसानों के साथ न्याय किया जाये और इस रेल लाईन परियोजना मेें अपनी जमीन देने वाले किसान को 9 वर्ष का मुआवजा तथा किसान परिवार के एक सदस्य को रेलवे में नौकरी दिलाया जाये। जिस पर मुख्यमंत्री ने किसानों को आश्वासन दिया है कि वे जल्द ही इस मामले मेंं रेलवे के उच्च अधिकारियों के साथ चर्चा करेंगे।
तब तक जारी रहेगा आंदोलन:किसान आंदोलन की महिला अध्यक्ष फुलबासन, उपाध्यक्ष सुशीला, सचिव रंजना दर्रो, प्रतिमा यदु, धनाभीराम दुग्गा, बिनेश कुमार कोसमा सहित समस्त महिलाओं ने कहा कि जब तक किसान परिवार के एक सदस्य को रेलवे में नौकरी नहीं दी जायेगी और 9 वर्ष का मुआवजा नहीं मिलेगा तब तक यह अनिश्चित कालीन धरना एवं क्रमिक भूख हड़ताल जारी रहेगा।
दल्लीराजहरा-रावघाट रेल लाईन परियोजना एक ही है,जो शासन एवं रेलवे की देखरेख में तैयार की जा रही है लेकिन एक ही प्रदेश के अलग अलग जिलों मेंं अलग अलग नियम लागू किया जा रहा है जो सरासर गलत है।
सुरक्षा गार्डों में डिलिट किया फोटो:मुख्यमंत्री के कार्यक्रम मेंं चर्चा यह रही कि जब किसानों द्वारा मुख्यमंत्री डॉ. रमन ङ्क्षसंह को ज्ञापन देकर चर्चा करने के दौरान फोटो खींचा गया तथा कुछ युवाओं द्वारा वीडियोग्राफी की गई तो मुख्यमंत्री की सुरक्षा मेंं लगे सुरक्षा गार्डों ने कैमरे व मोबाईल से फोटो एवं वीडियोग्राफी को यह कहकर डिलिट कर दिया कि यहां होने वाले कार्यक्रम की कोई भी बात अथवा तस्वीर बाहर नहीं जाना चाहिए।