गौरी लंकेश की पत्रकारिता उनोके जुझारूपन से निकली थी : चिदानंद राजघाटा
तेजतर्रार लेखिका गौरी लंकेश की पत्रकारिता अनिवार्य थी और यह उनके जुझारूपन से निकली थी;
नई दिल्ली। तेजतर्रार लेखिका गौरी लंकेश की पत्रकारिता अनिवार्य थी और यह उनके जुझारूपन से निकली थी। उनके पूर्व पति व 'इलिब्रल इंडिया : गौरी लंकेश एंड द एज ऑफ अनरिजन' के लेखक चिदानंद राजघाटा ने बुधवार को पुस्तक विमोचन के अवसर पर यह बात कही। पुस्तक के एक खंड में दो लोगों की जिंदगियों के बारे में लिखी गई है, जो तेजी से अनियंत्रित और असहिष्णु भारत की अस्थिर पृष्ठभूमि के खिलाफ खड़े होते हैं। यह दो शख्स वह खुद और लंकेश हैं।
प्रकाशक ने एक बयान में कहा, "एक साहसी महिला की हत्या में दो पहलू जुड़े हुए हैं। वह महिला जो इन ताकतों को आड़े हाथों लेती थी और एक बेहतर समाज और भारत के लिए लड़ती थी।"
उन्होंने कहा, "एम.एम. कलबुर्गी, गोविंद पनसारे, नरेंद्र दाभोलकर और लंकेश की हत्याओं के ढंग ने देश को हिला कर रख दिया और भारत में प्रदर्शनों की शुरुआत कर दी।"
प्रकाशक ने कहा कि इन चारों कार्यकताओं की हत्या करने वाली ताकतें लगातार बढ़ रही है।
लंकेश को जमीन के करीब रहकर काम करने वाली पत्रकार करार देते हुए लेखक ने कहा कि वह एक कार्यकर्ता-पत्रकार से पत्रकार कार्यकर्ता बन गई थी।
राजघाटा और लंकेश शादी समाप्त होने के पांच साल बाद तक दोस्त रहे थे।