ललित सुरजन की कलम से- यात्रा वृतांत : पश्चिमी सीमांत की ओर

'दिल्ली से फ़ाज़िल्का के कुछ पहले मलौट नगर तक राष्ट्रीय राजमार्ग-9 चलता है। इसे अगर मैं वीवीआईपी राजमार्ग की संज्ञा दूं तो अतिशयोक्ति न होगी;

Update: 2024-10-07 06:26 GMT

'दिल्ली से फ़ाज़िल्का के कुछ पहले मलौट नगर तक राष्ट्रीय राजमार्ग-9 चलता है। इसे अगर मैं वीवीआईपी राजमार्ग की संज्ञा दूं तो अतिशयोक्ति न होगी। बहादुरगढ़ चौक पार करने के बाद महम पड़ता है। यह आधुनिक हरियाणा के निर्माता बंशीलाल का नगर है। बंशीलाल ही थे जिन्होंने हरियाणा को देश में सबसे पहले पूर्ण विद्युतीकृत राज्य बनाने का काम किया था। यही बंशीलाल थे जो आगे चलकर आपातकाल की ज्यादतियों के लिए अपयश के भागीदार बने थे। महम से आगे बढ़ो तो हिसार आता है।

यह भजनलाल का चुनाव क्षेत्र है। ओ.पी. जिंदल और उनके बेटे यहीं से आगे बढ़े हैं। सावित्री देवी जिंदल भारत की सबसे धनी महिला मानी जाती हैं। भजनलाल और जिंदल को पीछे छोड़ते हुए थोड़ी देर बाद हम अग्रोहा से गुजरते हैं जो अग्रवाल समाज के लिए एक तीर्थ का रूप ले चुका है। इसके बाद आता है सिरसा। पाठकों को ध्यान होगा कि गुरमत रामरहीम के कारण यह नगर हाल के दिनों में सुर्खियों में आ चुका है।

हरियाणा के एक और पूर्व मुख्यमंत्री जिन्हें देश का उपप्रधानमंत्री बनने का सौभाग्य मिला, उन चौधरी देवीलाल का गांव चौटाला सिरसा से बहुत दूर नहीं है। ताऊ के पुत्र ओमप्रकाश चौटाला भी मुख्यमंत्री रह चुके हैं।

अभी तक हम हरियाणा में हैं। कुछ किलोमीटर आगे मंडी डबवाली है। यहां बीस वर्ष पूर्व 23 दिसम्बर 1996 को भीषण अग्निकांड में कई लोगों की मौत हो गई थी। इस नगर की खासियत है कि आधा शहर हरियाणा में और आधा पंजाब में पड़ता है। रेलवे स्टेशन शायद पंजाब में है। पंजाब के बुजुर्ग नेता और पांच बार मुख्यमंत्री रहे प्रकाशसिंह बादल का गांव बादल तथा विधानसभा क्षेत्र लांबी भी इसी सड़क पर है। इस तरह लगभग तीन सौ किलोमीटर के भीतर हम एक उपप्रधानमंत्री, आधा दर्जन मुख्यमंत्री और लगभग उतने ही सांसदों के गांवों से गुजरते हैं। इन सबने भारत की राजनीति-वाणिज्य, व्यापार और धर्म-आध्यात्म को अपनी-अपनी तरह से प्रभावित किया है। ... तो हुआ न यह वीवीआईपी रोड !'

(देशबन्धु में 14 दिसंबर 2017 को प्रकाशित)

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