संसद से SHANTI बिल पास, परमाणु क्षेत्र में निजी कंपनियों की होगी एंट्री

SHANTI बिल गुरुवार को राज्यसभा में ध्वनिमत से पास हो गया। सरकार ने इसे ऐतिहासिक बताया, जबकि विपक्ष ने आपूर्तिकर्ता के उत्तरदायित्व के अभाव और निजी कॉरपोरेट समूहों के लिए रास्ता खोलने का आरोप लगाया।;

Update: 2025-12-18 14:48 GMT

नई दिल्ली। केंद्र सरकार की ओर से सिविल न्यूक्लियर कानून में बदलाव के लिए लाया गया विधेयक गुरुवार को लोकसभा और राज्यसभा में पारित हो गया। अब मौजूदा कानून को बदलने के लिए लाए गए विधेयक पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद केंद्र परमाणु ऊर्जा पर सरकार का एकाधिकार खत्म करने की ओर कदम बढ़ा देगा। इसके साथ ही वाले दिनों में भारत में निजी कंपनियां और यहां तक कि आम व्यक्ति भी परमाणु संयंत्र के निर्माण और इसके संचालन जैसी गतिविधियों में शामिल हो सकेंगे।

बताया गया है कि इस विधेयक को कानून बनवाकर सरकार 2047 तक कुल 100 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा पैदा करने के लक्ष्य को पूरा करने का प्रयास कर रही है।

सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (SHANTI) बिल को पहले लोकसभा में बुधवार को पारित किया गया था और गुरुवार को राज्यसभा ने भी इसे ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। इस विधेयक का मकसद देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए परमाणु ऊर्जा के इस्तेमाल को और मजबूत बनाना है।

क्या बोले केंद्रीय मंत्री

परमाणु ऊर्जा विभाग के राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि परमाणु ऊर्जा एक 24/7 भरोसेमंद बिजली स्रोत है। उन्होंने बताया कि दूसरी नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की तुलना में परमाणु ऊर्जा लगातार बिजली देने में सक्षम है। उन्होंने यह भी साफ किया कि इस क्षेत्र में निजी भागीदारी के बावजूद सुरक्षा मानकों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। सरकार के मुताबिक मौजूदा सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह लागू रहेगी।

रेडिएशन को लेकर क्या कहा गया

विधेयक पर चर्चा के दौरान रेडिएशन को लेकर उठी चिंताओं पर मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि अब तक जनता को नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी रेडिएशन घटना की कोई रिपोर्ट नहीं है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि जनता की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता है और परमाणु ऊर्जा के इस्तेमाल में सभी जरूरी सावधानियां बरती जाती रहेंगी।

परमाणु क्षेत्र के निजीकरण पर विपक्ष की आपत्ति

सीपीआई(एम) सांसद एए रहीम ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह परमाणु आपूर्तिकर्ताओं के हित में लाया गया है और इससे जनता की बजाय निजी कंपनियों को फायदा होगा। उन्होंने निजीकरण को लेकर गंभीर चिंताएं जताईं। वहीं बसपा सांसद रामजी ने भी विधेयक पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई और कहा कि इससे राष्ट्रीय हित और सुरक्षा से जुड़े सवाल खड़े होते हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि परमाणु जैसे संवेदनशील क्षेत्र में निजीकरण जोखिम भरा है और इस पर व्यापक चर्चा व पुनर्विचार जरूरी है।

पर्यावरणीय दायित्व गायब, सुरक्षा पर सवाल: के आर सुरेश रेड्डी

बीआरएस सांसद के आर सुरेश रेड्डी ने अपने भाषण की शुरुआत परमाणु वैज्ञानिकों को बधाई देकर की। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह विधेयक दूर-दराज के उन इलाकों तक बिजली पहुंचाने की गारंटी देता है, जहां आज भी ऊर्जा की भारी कमी है। उन्होंने परमाणु सुरक्षा से जुड़े जोखिमों की ओर ध्यान दिलाया और कहा कि विधेयक में पर्यावरणीय दायित्व को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया है। उन्होंने परमाणु खनन से जुड़े मुद्दे भी उठाए। रेड्डी ने सुझाव दिया कि विधेयक को सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाए या फिर पर्यावरण समिति द्वारा इसकी लगातार निगरानी की जाए।

सुरक्षा तंत्र से किसी भी तरह का समझौता नहीं- सरकार

विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए परमाणु ऊर्जा विभाग के राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि परमाणु ऊर्जा 24x7 विश्वसनीय बिजली आपूर्ति का स्रोत है, जबकि अन्य नवीकरणीय ऊर्जा विकल्पों में यह निरंतरता नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सुरक्षा तंत्र से किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा। जितेंद्र सिंह ने विकिरण को लेकर जताई जा रही आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा कि अब तक आम जनता के लिए किसी भी प्रकार के विकिरण-संबंधी खतरे की कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई है।

जयराम रमेश ने केंद्र सरकार को आगाह किया

कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने केंद्र सरकार को आगाह किया कि परमाणु क्षेत्र में सार्वजनिक उपक्रमों की कीमत पर निजी कंपनियों को बढ़ावा देना राष्ट्रीय हित में नहीं है। उन्होंने फ्रांस का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां परमाणु ऊर्जा पूरी तरह सरकारी नियंत्रण में है। रमेश ने विदेशी तकनीक के बजाय भारत के स्वदेशी 700 मेगावाट के रिएक्टरों को मानक बनाने और देश के विशाल थोरियम भंडार के उपयोग पर जोर दिया। वहीं, भाजपा सांसद किरण चौधरी ने बिल का समर्थन करते हुए इसे आधुनिक परमाणु कानून बताया, जो कड़े सुरक्षा मानकों के साथ ऊर्जा आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करेगा।

ऊर्जा सुरक्षा के लिए मील का पत्थर

भाजपा सांसद किरण चौधरी ने बिल का समर्थन करते हुए इसे आधुनिक परमाणु कानून बताया, जो कड़े सुरक्षा मानकों के साथ ऊर्जा आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करेगा। पूर्व राजनयिक और सांसद हर्षवर्द्धन शृंगला ने इसे देश की ऊर्जा सुरक्षा के लिए मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा के लक्ष्य के लिए 19 लाख करोड़ रुपये के निवेश की आवश्यकता है, जो निजी भागीदारी के बिना संभव नहीं है।

क्या हैं सिविल न्यूक्लियर कानून में बदलाव का प्रस्ताव?

सिविल न्यूक्लियर कानून में बदलाव के लिए जो विधेयक लाया गया है, उसे सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (SHANTI), 2025 नाम दिया गया है। इसके जरिए सरकार परमाणु ऊर्जा कानून (एटॉमिक एनर्जी एक्ट), 1962 और परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम, 2010 को वापस ले लेगी। मौजूदा समय में भारत में परमाणु पदार्थों, ऊर्जा और उपकरणों के इस्तेमाल को लेकर यही दोनों कानून दिशा-निर्देश तय करते हैं।

जानें- नए विधेयक में क्या?

शांति, 2025 विधेयक में परमाणु ऊर्जा के उत्पादन, इस्तेमाल और नियमन के लिए एक नया वैध ढांचा तैयार करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा रेडिएशन के मानकों को लेकर भी इस विधेयक में कई नियम शामिल किए गए हैं। विधेयक में कहा गया है कि परमाणु ऊर्जा भारत की स्वच्छ ऊर्जा जरूरतों के लिए काफी अहम है। खासकर जैसे-जैसे ऊर्जा की मांग वाली तकनीक जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), डाटा सेंटर्स और उत्पादन की मांग बढ़ती जा रही है।

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