यूपी में फर्जी सर्टिफिकेट बेचने वाले बड़े रैकेट भंडाफोड़, 15000 में बीए-एमए की डिग्री, 2 लाख में पीएचडी

लखनऊ में फर्जी डिग्री बेचने वाले एक गैंग का पुलिस से भंडाफोड़ किया और तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, नगालैंड और मेघालय के संदिग्धों की तलाश में दबिश दे रही है।;

Update: 2025-12-23 07:42 GMT

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां फर्जी मार्कशीट और डिग्री बनाकर बेचने वाले इंटर स्टेट गिरोह का खुलासा हुआ है। लखनऊ ईस्ट की गोमती नगर पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस के अनुसार, ये गिरोह पीएचडी से लेकर बीटेक, बीसीए ,एमसीए, एमबीए , बीए, एमए की डिग्री, मार्कशीट बनाकर बेच रहे थे।

बता दें कि लखनऊ के गोमती नगर ईस्ट थाना क्षेत्र में पुलिस ने फर्जी डिग्री और मार्कशीट बनाने वाले एक बड़े गिरोह का खुलासा करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह कई राज्यों में सक्रिय था और साइबर कैफे के जरिए फर्जी शैक्षणिक दस्तावेज तैयार कर लोगों को बेच रहा था। पुलिस की इस कार्रवाई से शिक्षा व्यवस्था की साख पर हमला करने वाले नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है।

गिरोह में शामिल पांच राज्यों के आठ लोग चिह्नित

पुलिस ने 25 से अधिक विश्वविद्यालयों की जाली मार्कशीट छापने वाले गिरोह के भंडाफोड़ के बाद कार्रवाई और तेज कर दी है। तीन आरोपितों की गिरफ्तारी के बाद अब गिरोह से जुड़े पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, नगालैंड और मेघालय के कुल आठ जालसाजों को चिह्नित किया गया है। पुलिस की तीन टीमें अलग-अलग राज्यों में संभावित ठिकानों पर लगातार दबिश दे रही हैं। इन राज्यों की पुलिस को इनपुट साझा कर अलर्ट किया गया है, ताकि आरोपित फरार न हो सकें। अब तक की जांच में सामने आया है कि यह गिरोह ढाई हजार से ज्यादा मार्कशीट बना चुका है।

गिरोह के सरगना सहित तीन लोग गिरफ्तार

पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) पूर्वी शशांक सिंह ने बताया कि गिरोह का सरगना अयोध्या निवासी सत्येंद्र द्विवेदी, उन्नाव निवासी अखिलेश कुमार और लखीमपुर खीरी निवासी सौरभ शर्मा को गिरफ्तार किया गया था। तीनों से अलग-अलग टीम ने पूछताछ की, तो सामने आया कि उनके गिरोह के देश में कई लोग हैं। उन लोगों को विश्वविद्यालय के बारे में जानकारी दी जाती है, फिर वे लोग मार्कशीट का कागज उपलब्ध करवाते हैं।

कालेज की तरह पैटर्न पर मार्कशीट को डिजाइन किया जाता है। पूछताछ में सत्येंद्र ने बताया कि कागज उसी कालेज का इसलिए इस्तेमाल करते थे ताकि किसी को शक न हो। पूछताछ में आठ से ज्यादा लोगों के नाम और नंबर दिए हैं। ये लोग पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, नगालैंड और मेघालय के रहने वाले हैं।

923 जाली मार्कशीट बरामद

गिरफ्तारी के वक्त सत्येंद्र के पास एक लैपटाप बरामद हुआ था, जिसकी जांच की जा रही है। शुरुआती जांच में 400 लोगों के नाम सामने आए हैं। ये वे लोग हैं, जिन्हें जनवरी में मार्कशीट देनी थी।

डीसीपी ने बताया कि जिन लोगों के नाम और नंबर मिले हैं, उनसे संपर्क किया जाएगा। यह पता लगाया जाएगा कि गिरोह काम कैसे करता है और उन्हें इन लोगों ने कैसे संपर्क किया है। पुलिस ने तीनों की गिरफ्तारी के बाद 923 जाली मार्कशीट बरामद की थी।

डिग्री का इतना लेते थे रेट

आरोपियों की ओर से बीए और एमए की फर्जी डिग्री 10 से 15 हजार रुपये में, जबकि बीटेक और पीएचडी जैसी डिग्रियां डेढ़ से दो लाख रुपये में बेची जाती थीं। गोमती नगर पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से 25 यूनिवर्सिटी की 930 फर्जी मार्कशीट बरामद की है।

इसके अलावा 15 फर्जी मुहर, इंक पैड, करीब दो लाख रुपये नकद, मार्कशीट बनाने वाले 65 पेपर, प्रिंटिंग से जुड़ा सामान, लैपटॉप, हार्ड डिस्क और एक हैरियर कार भी जब्त की गई है।

मुख्य आरोपी के पास पीएचडी की डिग्री

पुलिस के अनुसार, मुख्य आरोपी सत्येंद्र द्विवेदी स्वयं पीएचडी डिग्रीधारी है, जबकि अखिलेश कुमार के पास एमएससी की डिग्री है। पुलिस ने स्पष्ट किया कि आरोपियों की अपनी डिग्रियां असली हैं, लेकिन वे फर्जी दस्तावेज तैयार कर अवैध कारोबार चला रहे थे। जांच में यह भी सामने आया है कि सत्येंद्र द्विवेदी ऑनलाइन परीक्षा कराने का सेंटर भी संचालित करता था। 

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