मनरेगा की जगह नए कानून पर भड़की कांग्रेस, कहा-विरोध करेंगे
मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि यह कदम इस ग्रामीण रोजगार योजना को कमजोर करने और अंततः समाप्त करने के व्यापक प्रयास का हिस्सा है। उन्होंने एक्स पर लिखा-कांग्रेस चुप नहीं बैठेगी।;
नई दिल्ली। मनरेगा की जगह ग्रामीण रोजगार के लिए लाए जा रहे विकसित भारत-जीरामजी विधेयक का कांग्रेस ने विरोध किया है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इसे मनरेगा को खत्म करने की दिशा में भाजपा-आरएसएस की साजिश बताया। कहा कि हम संसद से सड़क तक इसका विरोध करेंगे।
खरगे ने आरोप लगाया कि यह कदम इस ग्रामीण रोजगार योजना को कमजोर करने और अंततः समाप्त करने के व्यापक प्रयास का हिस्सा है। उन्होंने एक्स पर लिखा-कांग्रेस चुप नहीं बैठेगी। कांग्रेस पार्टी संसद में और सड़कों पर इस अहंकारी सरकार के ऐसे किसी भी फैसले का कड़ा विरोध करेगी, जो गरीबों और मजदूरों के खिलाफ है। हम करोड़ों गरीब लोगों, मजदूरों और श्रमिकों का अधिकार सत्ता में बैठे लोगों द्वारा छीनने नहीं देंगे।
वहीं, कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने योजना का नाम बदलने पर सवाल उठाते हुए कहा कि ग्राम स्वराज की अवधारणा और रामराज का आदर्श कभी भी एक-दूसरे के विरोधी नहीं थे। वे गांधीजी की चेतना के दो स्तंभ थे। ग्रामीण गरीबों के लिए बनाई गई योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाना इस साहचर्य की अनदेखी है।
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा-महात्मा गांधी का नाम क्यों हटाया जा रहा है? महात्मा गांधी को न केवल देश में बल्कि विश्व में भी सर्वोच्च नेता माना जाता है। इसलिए उनका नाम हटाने के पीछे का उद्देश्य मेरी समझ से परे है। सरकार का इरादा क्या है?
मनरेगा को बदलने की जरूरत क्यों पड़ी?
MGNREGA 2005 में बनाया गया था लेकिन इसके बाद अगले 20 सालों में ग्रामीण भारत बदल गया है। कई सरकारी एजेंसियों ने अपने सर्वे में बताया है कि लोगों में खर्च करने की क्षमता बढ़ी है। आय और फाइनेंशियल एक्सेस के कारण गरीबी 25.7% (2011–12) से घटकर 4.86% (2023–24) हो गई है।
मज़बूत सोशल प्रोटेक्शन, बेहतर कनेक्टिविटी, ज़्यादा डिजिटल एक्सेस और ज़्यादा विविध ग्रामीण आजीविका के साथ पुराना ढांचा अब आज की ग्रामीण अर्थव्यवस्था से मेल नहीं खा रहा था। इस स्ट्रक्चरल बदलाव को देखते हुए, MGNREGA का ओपन-एंडेड मॉडल पुराना हो गया था। VB – G RAM G बिल सिस्टम को आधुनिक बनाता है, गारंटी वाले दिनों को बढ़ाता है और प्राथमिकताओं पर फिर से ध्यान केंद्रित करता है।
नए एक्ट में कौन से पारदर्शिता और सामाजिक सुरक्षा के उपाय शामिल हैं?
नए बिल में AI से धोखाधड़ी का पता लगाया जाएगा। इन योजनाओं की निगरानी के लिए केंद्र और राज्य सरकारें संचालन समितियां चलाएंगी। इसके अलावा ग्रामीण विकास के लिए 4 प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान दिया जाएगा। पंचायतों के लिए बेहतर निगरानी भूमिका हो सकेगी। इस स्कीम से GPS/मोबाइल से काम की निगरानी हो सकेगी। रियल-टाइम MIS डैशबोर्ड से काम की तरक्की का पता लगाया जा सकेगा।
60 दिनों का ब्रेक पीरियड
मनरेगा और VB-G राम-जी विधेयक में एक बड़ा फर्क का ब्रेक पीरियड का है। नई स्कीम में खेती वाले सीजन में रोजगार गारंटी को 60 दिनों के लिए अस्थायी तौर पर रोक दिए जाने का प्रावधान किया जा रहा है, ताकि खेतों में काम न रुक पाए। रिपोर्ट के अनुसार खेती वाले पीक सीजन में इस अधिनियम के तहत कोई काम नहीं कराया जाएगा।
केंद्र का कहना है कि MGNREGA के काम बिना किसी मजबूत राष्ट्रीय रणनीति के कई कैटेगरी में फैले हुए थे। नया एक्ट 4 मुख्य तरह के कामों पर फोकस करता है, जो पानी की सुरक्षा, ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर, आजीविका से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण और जलवायु अनुकूलन में मदद करते हैं। नया एक्ट विकसित ग्राम पंचायत योजनाओं को अनिवार्य करता है, जिन्हें पंचायतों द्वारा खुद तैयार किया जाता है और पीएम गति-शक्ति जैसे राष्ट्रीय योजनाओं के साथ इंटीगरेट किया जाता है।
नई स्कीम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को क्या फायदा होगा
यह एक्ट प्रोडक्टिव एसेट बनाने, ज्यादा इनकम और बेहतर लचीलेपन के जरिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है। इस स्कीम में पानी से जुड़े कामों को प्राथमिकता दी जाएगी। गावों में बुनियादी विकास पर जोर दिया जाएगा। सड़कें, कनेक्टिविटी और बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जाएगा। ताकि बाजार इन इलाकों तक पहुंच पाए।
इसके अलावा भंडारण, बाजार , इनकम डाइवर्सीफिकेशन पर जोर दिया जाएगा। नया स्कीम जल संचयन, बाढ़ जल निकासी और मिट्टी संरक्षण के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर ग्रामीण आजीविका की रक्षा करता है। ग्रामीण इलाकों में रोजगार की उपलब्धता से प्रवासन में कमी आएगी।
मजदूरों को क्या फायदा होगा
मजदूरों को नौकरी की गारंटी लंबे समय तक मिल सकेगी। उन्हें बेहतर मजदूरी मिलेगी, इलेक्ट्रॉनिक मज़दूरी (2024-25 में पहले ही 99.94%) पूरी बायोमेट्रिक और आधार-आधारित वेरिफिकेशन के साथ जारी रहेगी, जिससे मज़दूरी की चोरी पूरी तरह से खत्म होगी।
हाइपरलोकल विकसित ग्राम पंचायत प्लान यह पक्का करेंगे कि काम पहले से प्लान किया होगा। अगर मजदूरों को काम नहीं दिया जाता है, तो राज्यों को बेरोजगारी भत्ता देना होगा. बेहतर सड़कें, पानी और आजीविका से जुड़ी संपत्तियों का निर्माण मजदूरों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाते हैं। इससे उनकी जीवन शैली बदलती है।