भारतीय राजनीति के अजातशत्रु कहे जाने वाले अटल जी का कैसा था नेहरू, इंदिरा और राजीव गांधी से रिश्ता

भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की आज जयंती है। उन्होंने नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के शासनकाल में मजबूत विपक्षी नेता की भूमिका निभाई, लेकिन निजी रिश्ते आत्मीय और सहज बने रहे।;

Update: 2025-12-25 06:59 GMT

नई दिल्ली। Atal Bihari Vajpayee Jayanti: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भारतीय राजनीति का अजातशत्रु कहा जाता है। नेहरू-गांधी परिवार से वैचारिक मतभेदों के बावजूद उनसे रिश्तों में परस्पर सम्मान, गरिमा और आत्मीयता थी। उन्होंने संसद के भीतर या सड़क पर विरोध कभी हावी नहीं होने दिया।

पंडित नेहरू ने एक बार ये भविष्यवाणी की थी कि ये नेता आगे चलकर देश का प्रधानमंत्री बनेगा। वहीं इंदिरा गांधी की कड़ी आलोचना के बावजूद दोनों के परस्पर रिश्तों में सहजता और संवाद बना रहा।

1. जवाहरलाल नेहरू से अटल के रिश्ते

देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से अटल बिहारी वाजपेयी में एक गुरु-शिष्य जैसा सम्मानजनक संबंध था। अटल बिहारी वाजपेयी 1957 में पहली बार सांसद बने तो पंडित नेहरू उनके भाषणों से बहुत प्रभावित हुए।

नेहरू ने एक विदेशी मेहमान से वाजपेयी का परिचय कराते हुए कहा था कि ये शख्स एक दिन भारत का प्रधानमंत्री बनेगा। संसद में वाजपेयी ने एक बार पंडित नेहरू की तुलना चर्चिल और चैंबरलेन से की थी। फिर भोज में नेहरू ने हंसते हुए अटलजी से कहा था कि भाषण बहुत दमदार था।

कहा जाता है कि 1977 में जब वाजपेयी विदेश मंत्री बने तो उन्होंने देखा कि उनके कार्यालय से नेहरू की तस्वीर हटा दी गई है। उन्होंने तुरंत आदेश देकर उसे वापस लगवाया।

2. इंदिरा गांधी: बांग्लादेश मुक्ति संग्राम का समय

इंदिरा गांधी के साथ वाजपेयी के रिश्ते काफी उतार-चढ़ाव वाले रहे। वे उनके सबसे प्रखर आलोचक थे, लेकिन संकट के समय साथ देश हित में साथ भी खड़े रहे। 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने इंदिरा गांधी सरकार के फैसलों का समर्थन किया।

पाकिस्तान के हमले की निंदा की और बांग्लादेश को मान्यता देने के कदम को सही बताया.अटलजी ने कहा था, भारत-बांग्लादेश की दोस्ती अटूट है और देश की एकता के लिए बलिदान जरूरी है। हालांकि इंदिरा गांधी को 'दुर्गा' कहने की बात उन्होंने बाद में खंडन किया था।

आपातकाल में जेल: आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी ने पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को भी जेल में डाल दिया था, जिससे उनके बीच राजनीतिक कड़वाहट बढ़ गई थी। हालांकि यह इंदिरा गांधी कई बार महत्वपूर्ण मुद्दों पर वाजपेयी से राय लेती थीं। शिमला समझौते के वक्त जब बारिश होने लगी तो इंदिरा गांधी ने स्वयं वाजपेयी के सिर पर छाता पकड़ रखा था।

3. राजीव गांधी से रिश्ते

राजीव गांधी और वाजपेयी के बीच का रिश्ता सबसे आत्मीय माना जाता है। कहा जाता है कि 1980 के दशक में वाजपेयी जी जब किडनी की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे और उन्हें इलाज के लिए अमेरिका जाना था, तब राजीव गांधी ने उनकी मदद की थी।

राजीव गांधी ने खुद अटल जी को अपने दफ्तर बुलाया और उनकी मदद की। उन्हें न्यूयॉर्क जाने वाले संयुक्त राष्ट्र (UN) प्रतिनिधिमंडल में शामिल कराया था। राजीव गांधी की हत्या के बाद अटल जी ने भावुक होकर कहा था, आज अगर मैं जीवित हूँ, तो राजीव गांधी की वजह से हूं।

4. सोनिया गांधीः संसद हमले के समय पूछा कुशलक्षेम

भारत की संसद पर 13 दिसंबर, 2001 को भीषण आतंकी हमला हुआ था।  उस दौरान अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे तो वहीं सबसे बड़ी विपक्षी नेता सोनिया गांधी थीं। हमले के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी अपने आवास में थे। वह टेलीविजन पर सुरक्षा बलों के ऑपरेशन को देख रहे थे और साथ में कई मंत्री बैठे थे।

इसी दौरान सोनिया गांधी का उनके पास फोन आया था। इस दौरान सोनिया ने अटल से पूछा, मुझे आपकी चिंता हो रही है। क्या आप सुरक्षित हैं? इस पर अटल जी जवाब दिया कि मैं सुरक्षित हूं। मुझे चिंता हो रही थी कि कहीं आप संसद परिसर में तो नहीं हैं। आप अपना ख्याल रखिए। इस तरह मुसीबत के वक्त दो शीर्ष नेताओं ने एक-दूसरे का हाल पूछा था।

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