बाल मजदूरी से बचाए गए बच्चे का पिता दिहाड़ी के लिए दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा, जिसमें एक बचाए गए बाल मजदूर सहित अन्य बंधुआ मजदूरों को बकाया दिहाड़ी दिलाने की मांग की गई है;

Update: 2020-12-17 00:46 GMT

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा, जिसमें एक बचाए गए बाल मजदूर सहित अन्य बंधुआ मजदूरों को बकाया दिहाड़ी दिलाने की मांग की गई है। मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की खंडपीठ ने एक पिता की ओर से दायर याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसके बच्चे को हाल ही में बंधुआ मजदूरी के चंगुल से बचाया गया था। याचिका में बचाए गए बच्चे के साथ ही राज्य में 115 अन्य बंधुआ पीड़ितों की लंबे समय से लंबित मजदूरी शीघ्र दिलाए जाने की मांग की गई है।

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है, "याचिकाकर्ता बाल श्रम से बचाए गए बच्चे का पिता है। बाल मजदूर बिहार के सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े समुदाय से है और उसकी उम्र महज आठ साल है, जो कि बेहद गरीबी से जूझ रहा है। वह 2012 में आजीविका की तलाश में दिल्ली आया था।"

याचिका में आगे कहा गया है, "उसे (याचिकाकर्ता का बेटा) आरोपी मालिक/नियोक्ता की ओर से सदर बाजार स्थित परिसर में रोजगार की पेशकश की गई थी। हालांकि अपने रोजगार के दौरान, याचिकाकर्ता के बच्चे को डेढ़ साल से अधिक समय तक गंभीर दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा।"

याचिका में यह भी कहा गया है कि उक्त मालिक ने बच्चे के साथ अमानवीय व्यवहार किया और उससे लगभग 12 घंटे काम कराने के बावजूद उसे निर्धारित न्यूनतम मजदूरी से भी कम मजदूरी देता था।

अदालत ने अब अधिकारियों से मामले में विस्तृत स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है और अब मामले को अगले साल 22 जनवरी को सुनवाई के लिए निर्धारित किया गया है।

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