मजदूरों की जान बचाने के लिए टैंक में उतरे पिता-पुत्र की मौत

कृष्णा कुंज के पास नवाब विहार इंद्रापुरी कालोनी में शनिवार रात सेफ्टी टैंक साफ करते वक्त मजदूरों की हालत बिगड़ने पर उन्हें बचाने सेफ्टी टैंक में उतरे पिता-पुत्र की मौत हो गई;

Update: 2017-04-03 11:29 GMT

गाजियाबाद। कृष्णा कुंज के पास नवाब विहार इंद्रापुरी कालोनी में शनिवार रात सेफ्टी टैंक साफ करते वक्त मजदूरों की हालत बिगड़ने पर उन्हें बचाने सेफ्टी टैंक में उतरे पिता-पुत्र की मौत हो गई, जबकि एक युवक की हालत गंभीर बनी है। मृतकों के परिवार में कोहराम मचा है।  बिहार के बक्सर निवासी मकसूद उर्फ मुन्ना (50) पिछले 15 साल से नवाब विहार इंद्रापुरी में परिवार के साथ रहते थे। 

उनके छोटे बेटे परवेज के मुताबिक, शनिवार शाम करीब सात बजे कालोनी निवासी दो मजदूर चिंटू और पिंटू उनके घर में सेफ्टी टैंक साफ कर रहे थे। रात में करीब 11 बजे दोनों मजदूरों की टैंक के अंदर हालत बिगड़ गई, यह देख मकसूद अपने दो बेटों महबूब (18) और सोनू (20) के साथ मजदूरों को बचाने के लिए सात फीट गहरे टैंक में उतर गया। पिता-पुत्र ने मजदूरों को तो बाहर निकाल दिया, लेकिन खुद बाहर नहीं निकल सके। यह देख परिवार में कोहराम मच गया। शोर होने पर पहुंचे कालोनी वासियों ने टैंक के ऊपर लगी सिल्ली को तोड़ा और तीनों को बाहर निकाला। आनन-फानन में उन्हें अस्पताल में ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने मकसूद और महबूब को मृत घोषित कर दिया, जबकि सोनू को गंभीर हालत में मेरठ में भर्ती कराया गया है।

मृतक मकसूद के बेटे परवेज ने बताया कि मजदूरों को बचाने के लिए पिता मकसूद, भाई महबूब और सोनू रात में करीब 11.15 पर टैंक में उतरे थे। मजदूरों को बाहर की ओर धकेलने के बाद पिता और भाई की बस इतनी आवाज सुनाई दी कि बचाओ, इसके बाद टैंक से आवाज आनी बंद हो गई।


कालोनी के लोगों की मदद से टैंक के ऊपर की सिल्ली तोड़ी गई, जिसे तोड़ने और पिता समेत दोनों भाइयों को बाहर निकालने में दो घंटे का समय लगा। परवेज ने बताया कि उसके पिता और भाई दो घंटे जहरीली गैस में तड़पते रहे। महबूब की शादी अप्रैल में होनी थी, मकसूद सब्जी की ठेली और महबूब गन्ने का रस बेचता था। महबूब और अस्पताल में भर्ती सोनू का शादी के लिए रिश्ता पक्का हो गया था। इसी माह (अप्रैल) दोनों की शादी होनी थी। इसके चलते तैयारियां चल रही थी।  वहीं पति और जवान बेटे की मौत होने पर रशीदा का रो-रो कर बुरा हाल है। चंद रुपयों के लालच गवां दी जान| 
सफाई निरीक्षक नेपाल सिंह का कहना है कि सेफ्टी टैंक साफ कराने के लिए नगर पालिका परिषद में 2500 से 3000 रुपए शुल्क लेकर मशीन से सफाई कराती है। वहीं, सूत्रों का कहना है कि पालिका खर्च बचाने के चक्कर में लोग निजी लोगों को 500 से 1000 रुपए देकर सेफ्टी टैंक साफ कराते हैं, जिससे जान का खतरा बना रहता है। 

 

 

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