हजारों प्रवासी श्रमिकों की कश्मीर में एंट्री ने बढ़ाया खतरा कोरोना का
जिन प्रवासी श्रमिकों का कभी कश्मीर में स्वागत किया जाता था, कोरोना काल में वे कश्मीर के लिए संकट साबित होने जा रहे हैं।;
दो सप्ताह में 12 हजार आए, 5 हजार का टेस्ट हुआ, 12 संक्रमित पाए गए
जम्मू । जिन प्रवासी श्रमिकों का कभी कश्मीर में स्वागत किया जाता था, कोरोना काल में वे कश्मीर के लिए संकट साबित होने जा रहे हैं। दो सप्ताह के भीतर सरकारी मिलीभगत से 12 हजार से अधिक प्रवासी श्रमिक कश्मीर पहुंच चुके हैं। इनमें से मात्र 5 हजार का ही कोरोना टेस्ट किया गया। उसमें से 12 संक्रमित पाए गए हैं जबकि बाकी की रिपोर्ट आनी बाकी है।
चौंकाने वाला तथ्य यह है कि कश्मीर उत्तर भारत में कोरोना मौतों और संक्रमितों की संख्या को लेकर सबसे टाप पर है। समाचार भिजवाए जाने तक 250 के करीब मौतें कोरोना से हो चुकी थी और 14 हजार के लगभग पाजिटिव मामले सामने आ चुके थे।
जो मामले सामने आए हैं उनमें अब सबसे अधिक वे हैं जिनकी ट्रैवल हिस्ट्री है। इनमें प्रवासी श्रमिक भी शामिल हैं। यूं तो प्रदेश में प्रवेश करने वालों की जांच सरकारी तौर पर हो रही है पर खबर यह है कि 12 हजार से अधिक श्रमिकों को कश्मीर में देश के विभिन्न भागों से लाया गया है। लेबर कमिशनर अब्दुल रशीद भी मानते हैं कि 11 हजार के लगभग प्रवासी श्रमिक वापस लौट आए हैं।
और यही प्रवासी श्रमिक अब कश्मीरियों के लिए खतरा बनने लगे हैं। लौटने वालों में से आधे के टेस्ट ही नहीं हुए और वे कामों पर लगा दिए गए। जिनके टेस्ट हुए वे क्वारांटाइन में ही नहीं गए। करीब 12 के टेस्ट पाजिटिव आ चुके हैं। पांच हजार के लगभग की रिपोर्ट का इंतजार तो हो रहा है पर वे काम पर जुट चुके हैं।
ये श्रमिक करीब 80 बसों में आए थे। अनंतनाग के उपायुक्त कहते थे कि इन बसों की जानकारी उन्हें लिखित रूप से मिली थी और जो 4 बसें इस काफिले का हिस्सा नहीं थीं उन्हें जब्त कर लिया गयाहै। वे कहते थे कि इनमें सवार सभी श्रमिकों का टेस्ट हो चुका है और बस रिपोर्ट की प्रतीक्षा है। ऐसे में कश्मीर में प्रवासी श्रमिकों के रूप मंे मंडराते खतरे से कश्मीरी जूझने को मजबूर हैं। जिसके प्रति कड़वी सच्चाई यह है कि कश्मीर में कोरोना बम फूट चुका है।
--सुरेश एस डुग्गर--