बिजली संशोधन बिल जनता-विरोधी, संघवाद-विरोधी : केजरीवाल

बिजली अधिनियम 2003 में प्रस्तावित संशोधन को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने 'जनता-विरोधी' और 'संघवाद-विरोधी' करार दिया है और शनिवार को कहा कि इससे आम आदमी के बिजली बिल में तेज बढ़ोतरी होगी;

Update: 2018-09-29 23:02 GMT

नई दिल्ली। बिजली अधिनियम 2003 में प्रस्तावित संशोधन को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने 'जनता-विरोधी' और 'संघवाद-विरोधी' करार दिया है और शनिवार को कहा कि इससे आम आदमी के बिजली बिल में तेज बढ़ोतरी होगी। 

उन्होंने यहां मीडिया से कहा कि इस संशोधन विधेयक से बिजली की दरों में तेज वृद्धि होगी और बिजली क्षेत्र पर केंद्र सरकार का पूरा नियंत्रण हो जाएगा तथा राज्य सरकारों को पूरी तरह से अलग-थलग कर दिया जाएगा। 

केजरीवाल ने कहा, "यह संशोधन चुनी हुई निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। इससे देश भर में छोटे और मध्मय घरेलू उपभोक्ताओं के बिजली बिल तुरंत दो से तीन गुणा बढ़ जाएंगे।"

उन्होंने कहा, "वर्तमान में बिजली नियामक आयोगों के तीन में दो सदस्य राज्य सरकार की पसंद के होते हैं। इस संशोधन में छह सदस्यीय चयन समिति का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें केवल एक सदस्य को राज्य सरकार मनोनीत कर सकेगी, जबकि चार सदस्य केंद्र सरकार मनोनीत करेगी और एक सदस्य सर्वोच्च न्यायालय का पदस्थ न्यायाधीश होगा।"

उन्होंने कहा, "इसका नतीजा यह होगा कि सभी राज्य बिजली नियामक आयोगों (एसईआरसीज) के गठन का फैसला केंद्र सरकार करेगी।"

केजरीवाल ने कहा कि इस बिल को संसद के शीत सत्र में चुनावों से कुछ महीने पहले पारित करने की तैयारी है, जो सांठ-गांठ वाले पूंजीवाद और एकाधिकार को बढ़ावा देगा। 

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