ललित सुरजन की कलम से- यात्रा वृत्तांत : दूसरी चीन यात्रा: कुछ नए अनुभव

'शंघाई से हम नानजिंग के लिए बुलेट ट्रेन में रवाना हुए। यह एकदम नया अनुभव था;

Update: 2025-01-24 09:34 GMT

'शंघाई से हम नानजिंग के लिए बुलेट ट्रेन में रवाना हुए। यह एकदम नया अनुभव था। शंघाई, बीजिंग और नानजिंग तीनों शहरों में हमने रेल्वे स्टेशन देखे। हर जगह चार या उससे अधिक रेल्वे स्टेशन है, जो अलग-अलग दिशाओं की सेवा करते हैं। हर रेलवे स्टेशन विमानतल की तर्ज पर बना है।

तलघर में या दूर कहीं पार्किंग, फिर स्वचालित सीढ़ी या एस्केलेटर से ऊपर, प्रवेश द्वार पर एक्स-रे मशीन की सामान की जांच, यात्रियों की खानातलाशी, फिर दूसरी स्वचालित सीढी से और ऊपर लंबा गलियारा पार कर अपने बोर्डिंग गेट पर, ट्रेन आने के पन्द्रह मिनट पहले बोर्डिंग गेट खुलता है, नीचे उतरकर प्लेटफार्म पर आओ, टिकट पर बोगी नंबर लिखा है, अपने निर्धारित स्थान पर खड़े हो जाओ, ट्रेन का दरवाजा वहीं खुलेगा, दो या तीन मिनट रेलगाड़ी रुकती है।

सैकड़ों यात्री, लेकिन कोई भगदड़ नहीं। प्लेटफार्म पर यात्रियों के अलावा कोई नहीं आ सकता। बूढ़े या अशक्त लोगों को किस तरह संभाला जाता है यह मैं नहीं देख पाया। शंघाई से नानजिंग चलने वाली बुलेट ट्रेन में मात्र एक घंटा बीस मिनट में तीन सौ किलोमीटर से अधिक का सफर तय कर लिया। ट्रेन यादातर समय दो सौ नब्बे किलोमीटर की औसतन रफ्तार से दौड़ती रही।

इसी तरह नानजिंग से बीजिंग का एक हजार किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करने में ट्रेन ने महज चार घंटे लिए गो कि बर्फ के कारण ट्रेन आधा घंटा लेट हो गई। हमारे साथ चल रहे चीनी शांति संगठन के साथी शर्मिंदा होकर सफाई दे रहे थे, यद्यपि उसकी कोई जरूरत नहीं थी।'

(देशबन्धु में 27 दिसम्बर 2012 को प्रकाशित)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2012/12/

Full View

Tags:    

Similar News