तालाबों में डूबने से हर साल हो रही है मौतें
क्षेत्र में बेतरतीब ढंग से बनाए गए जोहड़ (तालाब) हर साल लोगों की जिंदगी को लील रहे हैं;
पलवल। क्षेत्र में बेतरतीब ढंग से बनाए गए जोहड़ (तालाब) हर साल लोगों की जिंदगी को लील रहे हैं। तालाबों में डूबकर मरने वालों में बच्चों की संख्या ज्यादा है। तालाबों बनाने के लिए कोई नियम लागू नहीं होने से लोग मनमाने ढंग से तालाबों को बनाकर आम लोगों के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं। तालाबों में नहाने गए कई लोग काल के गाल में समां चुके हैं। गत शुक्रवार को मठेपुर गांव में एक ही परिवार के तीन बच्चों की तालाब में डूबने से मौत हो गई थी।
बावजूद इसके अभी तक प्रशासनिक स्तर पर कोई उपाय नहीं किए। खंड की 76 ग्राम पंचायतों में 175 के लगभग तालाब है। इसके अलावा गुरुग्राम केनाल से सटे गांव हुंचपुरी, रणसीका, मठेपुर, बिघावली, दूरेंची, महलूका, जलालपुर, मंढनाका गांवों में लोगों ने अपनी भूमि में 300 निजी तालाब मछली पालन के लिए बनाए गए हैं। इन तालाबों को मछली पालक किसानों ने नियमों का ताक पर रखकर बनाया गया है। तालाबों की खुदाई करने की बजाए जेसीबी मशीन से भूमि से तीन से लेकर चार फुट तक डोल बंदी (मिट्टïी डालकर) करके तालाबों को बनाया गया है। जेसीबी से डोलबंदी के साथ साथ गड्ढ़े बने जाता है। यही गड्ढ़े बच्चों के लिए नासूर बन रहे हैं।
शुक्रवार को एक परिवार की लड़की नस्सी, फरमान व साकिब की मौत हो गई थी। मठेपुर में कुछ दिन पहले पहाड़ी में खनन से बने तालाब में कई पशु व एक युवक डूब गया था।
पूठली गांव में भी पिछले दिनों तालाब में डूबने से एक बच्चे की मौत हो गई थी। मलाई गांव के तालाब में गांव के शरीफ के आठ वर्षीय पोत्र की पिछले सप्ताह डूबने से मौत हो गई थी।
घुड़ावली गांव खनन के कारण बने तालाब में भी डूबने के कारण कई बच्चे मर चुके हैं। गुरुग्राम केनाल से सटे तालाबों की शिकायत तो कई बार उच्च स्तर की जा चुकी है। लेकिन कभी इस बारे में कोई कार्रवाई नहीं हुई। लगातार हो रहे हादसों से प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया।