अधूरे स्टापडेम को कागजों में बता दिया पूर्ण
बंगुरसिया में स्टापडेम निर्माण विभाग के लिए गले की हड्डी बन गई है और अब निर्माण पूर्ण होने की बात कह कर अधिकारी भले ही राहत की सांस ले रहे;
रायगढ़। बंगुरसिया में स्टापडेम निर्माण विभाग के लिए गले की हड्डी बन गई है और अब निर्माण पूर्ण होने की बात कह कर अधिकारी भले ही राहत की सांस ले रहे हैं, लेकिन मौके के निरीक्षण के बाद फोटो ग्राफस व विडियोग्राफी से उसके निर्माण की तारीख यह बता रहे हैं कि मार्च के बाद स्टापडेम का निर्माण शुरू हुआ। सीसीएफ कार्यालय से निर्देश के बाद अब मामले की जांच के लिए धरमजयगढ़ एसडीओ को जांच अधिकारी बनाया गया है, जिन्होंने मौके पर जाकर स्टापडेम का निरीक्षण भी किया। वहीं दो दिन पहले जिला सेव फारेस्ट समिति के पदाधिकारी भी यहां पहुंचे और निरीक्षण में उन्होंने पाया कि भले ही आनन-फानन में डेम का निर्माण कराया गया, लेकिन काम अब भी अधूरा है। इसके बाद सेव फारेस्ट समिति के अध्यक्ष के द्वारा प्रधानमंत्री से लेकर विभाग के अन्य बड़े अधिकारी को शिकायत पत्र भेजकर सीसीएफ के एफआईआर के आदेश का पालन कराने की मांग की है।
विदित हो कि बंगुरसिया में हाथियों व अन्य वन्यप्राणियों के लिए दो स्टाप डेम यहां बनाया जाना था। इसके बाद इसे विभागीय अधिकारियों ने दो की जगह एक स्टापडेम बनाने के लिए पत्र लिखा और चालिस लाख रुपए की लागत से एक स्टापडेम निर्माण को अनुमति मिल गई, लेकिन यह स्टापडेम का निर्माण मार्च माह में पूरा हो जाना था, पर बिना स्टापडेम निर्माण के लिए व्हाउचर, मजदूरों का भुगतान सहित पूरा कार्य बता कर मार्च एकाउंट उच्च विभाग में भेज दिया गया, लेकिन मार्च माह के बाद इसका भेद खुल गया कि मौके पर स्टापडेम मार्च तक बना ही नहीं और सरकारी कागजों में स्टापडेम बनना बता दिया गया। ऐसे में इसके खुलासे के बाद मामले की शिकायत उच्चाधिकारियों से की गई। इसके बाद बिलासपुर की उड़नदस्ता टीम ने मौके का निरीक्षण किया और अपनी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों के पास पेश की। बाद में सीसीएफ वन्यप्राणी एसपी मसीह ने रेंजर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का एक पत्र भेजा, लेकिन अब तक इस आदेश की अवहेलना करते हुए रेंजर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब मामले की जांच के लिए बिलासपुर सीसीएफ से एक आदेश धरमजयगढ़ एसडीओ बीएस सरोटे को मिला। जिसमें जांच अधिकारी उन्हें बनाया गया और करीब तीन दिन पहले जांच अधिकारी बीएस सरोटे मौके पर पहुंचे और मौके का निरीक्षण किया। ग्रामीण सूत्रों ने बताया कि इस दौरान मजदूर यहां काम कर रहे थे, लेकिन जांच अधिकारी के आने की जानकारी स्थानीय विभागीय अधिकारियों को लगने पर तत्काल मजदूरों को वहां से भगा दिया गया। इसके बाद दो दिन पहले जिला सेव फारेस्ट समिति के अध्यक्ष गोपाल अग्रवाल, सचिव मोहसिन खान, उपाध्यक्ष अबरार हुसैन, सदस्य शमशाद अहमद, सुशील पांडे यहां पहुंचे और वस्तुस्थिति का जायजा लिया, तब उन्होंने देखा कि मौके पर स्टापडेम के किनारे का ताजा निर्माण है और सीमेंट की बोरिया भी यहां पड़ी हुई थी। इसके बाद सेव फारेस्ट समिति के अध्यक्ष के द्वारा मामले में प्रधानमंत्री, सेंट्रल आडिटर ऑफ जनरल दिल्ली सहित अन्य मत्री व उच्चाधिकारियों को शिकायत पत्र भेजकर सीसीएफ के एफआईआर के आदेश का पालन कराने की मांग की है।
भेद खुला तो निर्माण किया शुरू
मार्च माह में स्टापडेम का निर्माण बता दिया गया। इसके बाद भेद खुलने पर स्टापडेम का निर्माण शुरू किया गया। जल, जंगल व वन्यप्राणियों के हित के लिए सरकार ने यह राशि स्वीकृत कर स्टापडेम की स्वीकृति दी, लेकिन हाथी प्रभावित क्षेत्र में किसी के नहीं पहुंच पाने की सोच रखते हुए विभागीय अधिकारियों ने इस पर गड़बड़ी कर दी। ऐसे में स्थानीय ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश अब देखा जा रहा है। यही नहीं बंगुरसिया में ही मुनारा निर्माण, कूप कार्य व बांस भिर्रे की सफाई कार्यों में भी अनियमितता बरती गई थी।
अब तक एफआईआर नहीं
सेव फारेस्ट समिति के अध्यक्ष गोपाल अग्रवाल ने बताया कि मौके पर जा कर देखा गया तो स्टापडेम के किनारे ताजा निर्माण पाया गया और सीमेंट की बोरियां भी यहीं रखी हुई थी। इससे यह स्पष्ट है कि निर्माण अब भी जारी है और सीसएफ वन्यप्राणी ने बंगुरसिया स्टापडेम निर्माण के मामले में रेंजर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश जारी किया था, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई भी रेंजर के खिलाफ नहीं हो सकी है। ऐसे में प्रधानमंत्री, सेंट्रल आडिटर ऑफ जनरल दिल्ली सहित अन्य अधिकारियों को पत्र लिख कर मामले में एफआईआर के आदेश को पालन कराने की मांग की गई है।
जांच अभी भी शेष- जांच अधिकारी
बिलासपुर सीसीएफ कार्यालय से आए आदेश के बाद स्टापडेम जांच के लिए मुझे जांच अधिकारी बनाया गया है। मौके का निरीक्षण किया गया है। अभी जांच और भी शेष है। इसके बाद रिपोर्ट बना कर उच्च विभाग में भेजा जाएगा।