रोचक किस्सों का दस्तावेज
जिंदगी के किस्से यदि सपाट रूप से लिखे जाएं तो वे सिर्फ किस्से बन कर रह जाते हैं;
- रोहित कौशिक
जिंदगी के किस्से यदि सपाट रूप से लिखे जाएं तो वे सिर्फ किस्से बन कर रह जाते हैं। जाहिर है सपाटबयानी में वह रचनात्मकता नहीं होती जिससे माध्यम से कोई भी कथा हमारी स्मृति का हिस्सा बन पाती है। प्रतिष्ठित युवा लेखक विपिन शर्मा ने हाल ही में प्रकाशित अपनी पुस्तक 'तुम जिन्दगी का नमक हो'में जिंदगी की छोटी-छोटी कहानियां रोचक अंदाज में लिखी हैं। विपिन शर्मा के गद्य का लालित्य इन कथाओं को और भी प्रभावी बनाता है। ये किस्से छोटे जरूर हैं लेकिन इन छोटे-छोटे किस्सों में बड़ा दर्शन छिपा हुआ है। इन कथाओं का मूल स्वर प्रेम है।
अक्सर हम बहुत ही सीमित और परम्परगत दायरे में प्रेम का अर्थ ग्रहण करते हैं। इन कथाओं में प्रेम के विभिन्न स्वरूप महसूस किए जा सकते हैं। जिंदगी से प्रेम किए बिना हम प्रेमिका से भी प्रेम नहीं कर सकते। इसलिए यहां एक तरफ जिंदगी से भरपूर प्रेम है तो दूसरी तरफ प्रेमी और प्रेमिका के बीच इश्क की कशिश भी है। जाहिर है कि जब जिंदगी से भरपूर प्रेम होगा तो जिंदगी से जुड़ी विभिन्न विसंगतियां भी किसी न किसी रूप से हमारे ऊपर अपना प्रभाव डालेंगी। इसलिए इन कथाओं में कहीं न कहीं जिंदगी की विसंगतियां भी मौजूद हैं।
इन किस्सों को पढ़ते हुए महसूस होता है कि इनमें सिर्फ कोरी कल्पना नहीं हैं बल्कि परोक्ष रूप से लेखक की रोजमर्रा की जिंदगी के अनुभव भी मौजूद हैं। जीवनानुभव से निकले किस्से जिंदगी के ज्यादा करीब तो होते ही हैं, विश्वसनीय भी होते हैं। निश्चित रूप से किसी भी कथा में कल्पनाशीलता का अपना महत्व होता है लेकिन यदि कल्पनाशीलता जीवनानुभव पर आधारित हो तो वह ज्यादा तार्किक होती है।
यही कारण है कि इन किस्सों को पढ़ते हुए एक आत्मीय जुड़ाव महसूस होता है। ज्यों-ज्यों हम इस किताब को पढ़ते हुए आगे बढ़ते है, त्यों-त्यों इन किस्सों से हमारी रागात्मकता बढ़ती चली जाती है। इस दौर में जबकि बौद्धिक वर्ग कई तरह के वादों में उलझा अतिवाद का शिकार हो रहा है, ये कथाएं एक बनी बनाई लीक तोड़ती हुई अंधरे में लैम्प पोस्ट की तरह हमें प्रकाशित करती हैं। यहां कई शहर हैं, शहर की गलियां हैं, गांव हैं, चांद-तारे हैं, पहाड़ हैं, प्रकृति के विभिन्न रूप हैं तथा कई लेखक और शायर हैं। यानी एक मुकम्मल जिंदगी की कई बिखरी हुई तस्वीरें हैं। इन बिखरी हुई तस्वीरों से ही जिंदगी की एक बड़ी तस्वीर जुड़ती और पूर्ण होती है।
दरअसल जिंदगी हमेशा गुलाबी नहीं होती। किसी एक रंग से रंगी जिंदगी वास्तविकता से बहुत दूर होती है। इसलिए कन कथाओं में परेशानियों और संघर्षों का रंग भी है। यह संघर्ष कई स्तरों पर दिखाई देता है। प्रेम के रास्ते पर चलते हुए संघर्ष न हों तो फिर ऐसे प्रेम का क्या औचित्य ? कभी यह संघर्ष हमारे प्रेम को और मजबूती प्रदान करता है तो कभी हालात की कठपुतली बनकर हमारे प्रेम को कमजोर भी कर देता है। यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि संघर्ष के समय हमारा दृष्टिकोण क्या है ? ये कथाएं विभिन्न परिस्थितियों में कहीं न कहीं हमारे दृष्टिकोण को भी परिलक्षित करती हैं।
इन किस्सों में स्थानीय जीवन की हलचल है तो अन्तरराष्ट्रीय विमर्श भी है। यह सही है कि रोजमर्रा की स्थानीय गतिविधियां हमारे जिंदगी का आधार हैं, तो अन्तरराष्ट्रीय गतिविधियां भी किसी न किसी रूप में स्थानीय गतिविधियों पर अपना प्रभाव डालती हैं। निश्चित रूप से इस प्रभाव को एक संवेदनशील लेखक ही अपनी रचनाओं में दर्ज कर सकता है। इस बदलाव और प्रभाव को विभिन्न लेखक अलग-अलग तरीकों से दर्ज करते हैं। असली सवाल यह है कि क्या लेखक इन बदलावों को सहज तरीके से अपनी रचनाओं में दर्ज कर पाता है ?
बड़ी बात यह है कि विपिन शर्मा इन बदलावों को बहुत ही सलीके से इन किस्सों में दर्ज करते हैं। एक ऐसा भी अजीब समय हम सबने देखा है कि जब 'पॉजिटिव'शब्द हमारे लिए खतरे की घंटी बन गया था। यदि पिछले कुछ समय के किस्से लिखे जाएं और उन किस्सों में हमारी जिंदगी को बदरंग करने वाली महामारी का जिक्र न हो जो निश्चित रूप से यह स्वाभाविक नहीं होगा। महामारी के किस्से भी इस किताब को प्रासंगिक बनाते हैं। जीवंतता और रोचकता से ओत-प्रोत इन किस्सों को निश्चित रूप से पढ़ा जाना चाहिए। इन अद्भुत किस्सों को लिखने के लिए विपिन शर्मा बधाई के पात्र हैं।