'भारत आज नेहरू के ब्लूप्रिंट के आधार पर खड़ा है' : इमरान मसूद

संसद में 'वंदे मातरम' पर चर्चा के बीच कांग्रेस सांसदों ने सरकार को निशाने पर लिया है। इमरान मसूद ने कहा कि भारत आज जवाहरलाल नेहरू के ब्लूप्रिंट के आधार पर खड़ा है। अगर पंडित जवाहरलाल नेहरू न होते तो ये लोग (भाजपा) भी न होते;

By :  IANS
Update: 2025-12-08 13:11 GMT

'वंदे मातरम' पर इमरान मसूद का केंद्र को जवाब, 'भारत आज नेहरू के ब्लूप्रिंट के आधार पर खड़ा है'

नई दिल्ली। संसद में 'वंदे मातरम' पर चर्चा के बीच कांग्रेस सांसदों ने सरकार को निशाने पर लिया है। इमरान मसूद ने कहा कि भारत आज जवाहरलाल नेहरू के ब्लूप्रिंट के आधार पर खड़ा है। अगर पंडित जवाहरलाल नेहरू न होते तो ये लोग (भाजपा) भी न होते।

इमरान मसूद ने समाचार एजेंसी से बातचीत करते हुए कहा, "पंडित नेहरू बड़े दिले के थे और वे सभी को साथ लेकर चले। उन्होंने सभी विचारधाराओं का समावेश अपने अंदर किया। भारत आज जवाहरलाल नेहरू के ब्लूप्रिंट के आधार पर ही खड़ा है। भारत के पास कुछ नहीं था। देश की जनता के पास खाने का अनाज नहीं था और पहनने के लिए कपड़े नहीं थे। उस समय अनाज और कपड़ा बाहर से आते थे। उस समय भारत को आत्मनिर्भर पंडित जवाहरलाल नेहरू ने बनाया।"

'वंदे मातरम' पर चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष की तरफ से जवाहरलाल नेहरू पर दोषारोपण को लेकर इमरान मसूद ने कहा, "पंडित नेहरू सुबह शाम उनके (भाजपा) ख्वाब में आते हैं। अगर पंडित जवाहरलाल नेहरू न होते तो ये लोग (भाजपा) भी न होते।"

वहीं, कांग्रेस की सांसद रंजीत रंजन ने कहा, "क्योंकि अभी पश्चिम बंगाल का चुनाव है, इसलिए उन्हें वंदे मातरम और बंकिम चंद्र चटर्जी याद आ रहे हैं। अफसोस है कि सरकार सिर्फ चुनावी मोड पर काम करती है, लेकिन याद रखिएगा कि एक दिन आपको भी इतिहास याद करेगा। आपके लिए भी कोई भाषण दे रहा होगा।"

कांग्रेस सांसद ने कहा, "यह सिर्फ चुनाव के लिए चर्चा हो रही है। हमने भी 'आनंद मठ' देखा है, जहां लोग जात-पात को दरकिनार करके अंग्रेजों से लोहा लेने के लिए लड़ने का काम कर रहे थे। उसी क्रांति में बंकिम चंद्र चटर्जी ने 'वंदे मातरम' गीत लिखा, लेकिन सरकार जिस तरह गड़े मुर्दे उखाड़ने का काम कर रही है, क्या उससे दिल्ली का वायु प्रदूषण कम हो रहा है? इंडिगो की उड़ानें रद्द हो रही हैं, दूसरी एयरलाइन कंपनियां अधिक किराया वसूल कर रही हैं, लेकिन ऐसे मुद्दों पर चर्चा नहीं हो रही है।"

उन्होंने कहा, "मैं सरकार से पूछना चाहती हूं कि किसके दबाव में दिल्ली का वायु प्रदूषण कम नहीं हो रहा है। गंगा का एक ही इको-सेंसेटिव जोन बचा है, आप किसके प्रेशर में छह हजार पेड़ काटने की बात करते हैं?"

Full View

Tags:    

Similar News