"एसआईआर अगर सही है तो सरकार चर्चा से बचना क्‍यों चाह रही है" : सपा नेता जियाउर रहमान

संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष लगातार एसआईआर पर चर्चा के लिए सरकार पर दबाव बना रहा है और कार्यवाही बाधित हो रही है। इसको लेकर समाजवादी पार्टी के नेता जियाउर रहमान बर्क ने कहा कि एसआईआर अगर सही है तो सरकार चर्चा से बचना क्‍यों चाह रही है?;

By :  IANS
Update: 2025-12-02 12:50 GMT

एसआईआर सही है तो सरकार शीतकालीन सत्र में इस पर चर्चा करे : जियाउर रहमान बर्क

नई दिल्‍ली। संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष लगातार एसआईआर पर चर्चा के लिए सरकार पर दबाव बना रहा है और कार्यवाही बाधित हो रही है। इसको लेकर समाजवादी पार्टी के नेता जियाउर रहमान बर्क ने कहा कि एसआईआर अगर सही है तो सरकार चर्चा से बचना क्‍यों चाह रही है?

उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि एसआईआर से उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन “उसकी आड़ में विपक्ष के वोट काटने की रणनीति” से उन्हें गहरी नाराज़गी है। बर्क ने कहा कि इस मुद्दे पर संसद में खुलकर चर्चा होनी चाहिए, ताकि इसकी पारदर्शिता पर कोई सवाल न उठे।

उन्होंने सवाल उठाया कि अगर एसआईआर की प्रक्रिया पूरी तरह सही है, तो सरकार इससे भाग क्यों रही है? अगर विपक्ष सवाल कर रहा है तो सरकार को उसका जवाब देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि 12 राज्यों में चल रही एसआईआर प्रक्रिया के लिए एक महीने का समय पर्याप्त नहीं है। उनकी मांग है कि सरकार कम से कम तीन महीने का समय दे, जिससे प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से पूरी हो सके।

बंगाल में मस्जिद निर्माण को लेकर जियाउर रहमान बर्क ने कहा कि अगर इस देश में मंदिर बन सकता है, तो मस्जिद बनने में क्या दिक्कत है? इस देश में सभी धर्मों के लोग रहते हैं, इसलिए धार्मिक स्थलों को लेकर किसी तरह का विवाद नहीं होना चाहिए। मस्जिद बननी चाहिए।

हुमायूं कबीर द्वारा पुलिस को धमकी देने के मुद्दे पर बर्क ने कहा कि धमकी के पक्ष में वे नहीं हैं। उन्होंने कहा कि उनके मजहब में भी साफ तौर पर कहा गया है कि सब कुछ सहयोग और शांति के साथ होना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी तरह की धमकी लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।

मौलाना महमूद मदनी के ‘जिहाद’ संबंधी बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए बर्क ने कहा कि देश में मुसलमानों के मजहब को गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिहाद का मतलब सिर्फ हिंसा या खून-खराबा नहीं है। किसी ज़ुल्म को रोकना भी जिहाद है, किसी को इंसाफ दिलाना भी जिहाद है, और मोहब्बत फैलाना भी जिहाद है। लोग जिहाद को किस नजर से देखते हैं, यह उनकी समझ पर निर्भर करता है, लेकिन इसका वास्तविक अर्थ व्यापक और सकारात्मक है।

हलाल प्रमाणपत्र पर चल रही राजनीतिक बहस पर बर्क ने कहा कि पहले देश में ऐसी स्थितियां नहीं थीं, लेकिन अब इसे राजनीति का हिस्सा बना दिया गया है। हलाल को एक राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। एक तरफ आम लोगों के लिए हलाल प्रमाणपत्रों पर रोक लगाई जा रही है, वहीं दूसरी तरफ इसके निर्यात पर कोई पाबंदी नहीं है।

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