अलका लांबा की बढ़ी मुश्किलें, राऊज एवेन्यू कोर्ट ने महिला आरक्षण प्रदर्शन केस में आरोप किए तय

दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने कांग्रेस नेता अलका लांबा के खिलाफ महिला आरक्षण प्रदर्शन केस में आरोप तय कर दिए हैं। अदालत ने कहा कि उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर अलका लांबा के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है;

By :  IANS
Update: 2025-12-20 07:37 GMT

दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने अलका लांबा के खिलाफ आरोप तय किए, जानें क्या है मामला

नई दिल्ली। दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने कांग्रेस नेता अलका लांबा के खिलाफ महिला आरक्षण प्रदर्शन केस में आरोप तय कर दिए हैं। अदालत ने कहा कि उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर अलका लांबा के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है।

दरअसल, यह मामला 2024 लोकसभा चुनाव से पहले जंतर-मंतर पर किए गए एक प्रदर्शन से जुड़ा है, जिसमें अलका लांबा और उनके समर्थकों ने महिला आरक्षण लागू करने की मांग को लेकर विरोध जताया था। इसी विरोध-प्रदर्शन के दौरान उन पर कई आरोप लगे थे।

जानकारी के अनुसार, अलका लांबा पर सरकारी कर्मचारियों के साथ धक्का-मुक्की करने, उनके काम में बाधा डालने, कानूनी आदेश की अवहेलना करने और सार्वजनिक रास्ता रोकने जैसे आरोप हैं। इन आरोपों के लिए अब उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 132, 221, 223(ए) और 285 के तहत मुकदमा चलेगा।

सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने कोर्ट को बताया कि कांग्रेस नेता अलका लांबा ने प्रदर्शनकारियों को उकसाया, पुलिस की ड्यूटी में बाधा डाली और सड़क जाम कराया। दूसरी तरफ, बचाव पक्ष ने कोर्ट को बताया कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण था और किसी भी पुलिसकर्मी को चोट लगने का कोई मेडिकल रिकॉर्ड नहीं है। कोर्ट ने दोनों पक्ष की दलीलें सुनने के बाद आरोप तय किए।

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि अलका लांबा के खिलाफ सेक्शन 132/221/223(ए)/285 बीएनएस के तहत दंडनीय अपराधों के लिए प्रथम दृष्टया मामला बनता है। आरोपी के खिलाफ आरोप तय करने का निर्देश दिया जाता है। आरोपी की ओर से कार्यवाही को खत्म करने/खारिज करने के लिए दायर की गई अर्जी को खारिज किया जाता है और उसका निपटारा किया जाता है।

कांग्रेस नेता अलका लांबा ने अपने खिलाफ दर्ज केस से छुटकारे के लिए डिस्चार्ज अर्जी दाखिल की थी, लेकिन राऊज एवेन्यू कोर्ट ने इस अर्जी को खारिज कर दिया।

बता दें कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस महिला आरक्षण बिल को लागू करने की मांग उठा रही थी। इसी क्रम में अलका लांबा ने जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया था, जिसके दौरान कथित रूप से सरकारी कामकाज में व्यवधान उत्पन्न हुआ।

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