दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षकों, विद्यार्थियों को नहीं भा रही ऐप आधारित अटेंडेंस
दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कॉलेजों में शिक्षकों की हाजिरी को अनिवार्य करने के लिए ऐप द्वारा शिक्षकों व छात्रों की हाजिरी लगाए जाने पर विरोध मुखर होने लगा है;
नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कॉलेजों में शिक्षकों की हाजिरी को अनिवार्य करने के लिए ऐप द्वारा शिक्षकों व छात्रों की हाजिरी लगाए जाने पर विरोध मुखर होने लगा है। यहां तक कि शिक्षक व विद्यार्थी ऐप आधारित अटेंडेंस सिस्टम को लागू करने की बात को सिरे से खारिज कर रहे हैं।
हाल ही में विश्वविद्यालय ने छात्रों और शिक्षकों की हाजिरी के लिए एक ऐप बनाया है जिसे तुरंत लागू करना चाहते हैं। यह ऐप शिक्षकों व छात्रों की हाजिरी पर नजर रखेगा। कॉलेजों द्वारा इसके लिए केंद्रीयकृत हाजिरी व्यवस्था लागू की जा रही है।
जानकारी के अनुसार इस व्यवस्था के तहत प्रत्येक दिन, प्रति कक्षा के बाद छात्रों व शिक्षकों की हाजिरी देनी होगी। यह सब एक ऐप पर जाकर अपलोड करना होगा। जबकि शिक्षकों की राय में पिछले कुछ वर्षों से यह देखने में आया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय आनन .फानन में कई सुधार करने के नाम पर ठीक चल रही उच्च शिक्षा व्यवस्था में छेड़छाड़ करके घातक रूप से शैक्षिक माहौल को खराब किया है। उनका कहना है कि बिना किसी बहस और चर्चा के विद्वत परिषद, कार्यकारी परिषद में पास किए विश्वविद्यालय जबरदस्ती लागू करने पर अड़ा हुआ है अब शिक्षक इन प्रयासों के विरोध में उतर आए हैं।
शिक्षकों का तर्क है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में आंतरिक मूल्यांकन और वर्तमान उपस्थिति प्रणाली एकेडेमिक काउंसिल व एग्जीक्यूटिव काउंसिल से मान्यता प्राप्त है और छात्रों की उपस्थिति को प्रति माह अपलोड़ किया जाता है जो कि संतोषजनक है किंतु इस ऐप में शिक्षकों की समय-सारणी और अन्य गतिविधियों को इससे जोडऩे पर अनेक असुविधाएं होंगी। सिर्फ उपस्थिति को महत्व देकर अन्यशैक्षणिक गतिविधियों को दरकिनार करना, घंटों के आधार पर शिक्षकों पर निगरानी रखना, उनको भुक्तभोगी बनाना होगा। कुछ कॉलेजों में इस पद्धति का इस्तेमाल फेल हो गया है।
फोरम ऑफएकेडेमिक्स फॉरसोशल जस्टिस के प्रो. हंसराज सुमन ने पुष्टिकरते हुए बताया कि ऐप बनाने की लागत उन कॉलेजों में छात्रों से वसूली जाएगी और शिक्षकों को भी इस लागत को वहन करना पड़ेगा जो कि अमान्य, बिल्कुल अव्यवहारिक है, इसमें अतिरिक्त शैक्षणिक गतिविधियां जैसे सेमिनार, त्यौहार, कॉलेजों के कार्यक्रम आदि में भाग लेना, कॉलेज की गतिविधियों का अभिन्न हिस्सा है इससे छात्रों का समुचित विकास होता है।