दिल्ली हाईकोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस पर केंद्र से मांगा जवाब

दिल्ली हाईकोर्ट ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69 के तहत आदेशित इलेक्ट्रॉनिक निगरानी पर सूचना प्रदान करने से गृह मंत्रालय के इनकार को चुनौती देने वाली एक याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा;

Update: 2021-11-13 10:17 GMT

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (आईटी एक्ट) की धारा 69 के तहत आदेशित इलेक्ट्रॉनिक निगरानी पर सूचना प्रदान करने से गृह मंत्रालय के इनकार को चुनौती देने वाली एक याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा।

एकल न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने मामले में केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील को दो सप्ताह का समय दिया है। अदालत इस मामले में दो दिसंबर को आगे की सुनवाई करेगी।

वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदीप पेस ने याचिकाकर्ता की ओर से दलीलें दीं।

वकीलों के अनुसार, दिसंबर 2018 में, इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन (आईएफएफ) के सह-संस्थापक और कार्यकारी निदेशक, याचिकाकर्ता अपार गुप्ता ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत छह आवेदन दायर किए थे, जिसमें जनवरी 2016 और दिसंबर 2018 के बीच इलेक्ट्रॉनिक निगरानी की अनुमति देने के लिए आईटी अधिनियम की धारा 69 के तहत पारित कई आदेशों का विवरण मांगा गया था।

हालांकि, केंद्रीय लोक सूचना कार्यालय (सीपीआईओ) ने उनके अनुरोध का यह दलील देते हुए निपटारा कर दिया था कि कानूनी रूप से इंटरसेप्शन/फोन टैपिंग/मॉनिटर या डिक्रिप्ट से संबंधित जानकारी का खुलासा आरटीआई के तहत छूट प्राप्त है। यह प्रस्तुत किया गया है कि याचिकाकर्ता को पूरी तरह से प्रतिवादियों की ओर से की गई देरी के कारण लगभग तीन वर्षों के लिए सूचना तक पहुंच के उनके मौलिक अधिकार से वंचित कर दिया गया।

याचिका में, याचिकाकर्ता ने सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत गृह मंत्रालय द्वारा अधिसूचित प्रथम अपीलीय प्राधिकरण (एफएए) द्वारा जारी 30 जुलाई के आदेश को रद्द करने के लिए एक रिट, आदेश या निर्देश की मांग की, जिसके तहत मंत्रालय ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 69 के तहत पारित आदेश जारी करने के संबंध में याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई किसी भी जानकारी का खुलासा करने से इनकार कर दिया।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि केंद्र का इनकार इस आधार पर था कि इस तरह की कोई जानकारी, संदर्भ की अवधि के लिए, सीपीआईओ के पास उपलब्ध नहीं थी, भले ही ऐसा आधार (ग्राउंड) एफएए या एलडी केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) द्वारा पहले नहीं लिया गया था।

याचिका में आरटीआई कार्यवाही के लंबित रहने को लेकर उचित दिशा-निर्देश तैयार करने की मांग की गई है।

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