कोरोना : नर्स एसोसिएशन की याचिका का सुप्रीम कोर्ट ने किया निपटारा

उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ संक्रमण के इलाज में लगे स्वास्थ्यकर्मियों के लिए ‘राष्ट्रीय कोविड-19 प्रबंधन प्रोटोकॉल’ के गठन संबंधी एक जनहित याचिका का बुधवार को निपटारा कर दिया।;

Update: 2020-04-15 13:55 GMT

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ संक्रमण के इलाज में लगे स्वास्थ्यकर्मियों के लिए ‘राष्ट्रीय कोविड-19 प्रबंधन प्रोटोकॉल’ के गठन संबंधी एक जनहित याचिका का बुधवार को निपटारा कर दिया।

न्यायमूर्ति एन वी रमन, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति बी आर गवई की खंडपीठ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई करते हुए यूनाइटेड नर्सेस एसोसिएशन (यूएनए) की ओर से दायर याचिका का निपटारा कर दिया।

न्यायालय ने याचिका का निपटारा उस वक्त किया जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय के समक्ष कहा, “केन्द्र सरकार नर्सों और मेडिकल स्टाफ़ की कोरोना से सुरक्षा संबंधी शिकायतों की सुनवाई के लिए एक हेल्पलाइन नंबर जारी करेगी, जिसपर शिकायत मिलते ही दो घंटे में उसका निवारण किया जाएगा।” उन्होंने यह भी कहा कि सरकार खुद ही सभी स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा को लेकर भिन्न-भिन्न उपाय कर रही है।

याचिका में में कहा गया था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पहले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्यकर्मियों के अधिकारों, भूमिकाओं और जिम्मेदारियों के मानकीकरण के लिए एक अंतरिम मार्गदर्शन जारी किया है, लेकिन भारत सरकार अब तक राष्ट्रीय प्रोटोकॉल तैयार करने में विफल रही है।
 
याचिकाकर्ता ने देश में व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों की कमी और संक्रमण की रोकथाम एवं नियंत्रण पर प्रशिक्षण की कमी ने फ्रंटलाइन चिकित्सा कर्मचारियों के गंभीर स्वास्थ्य जोखिम को उजागर किया था, जिसमें विभिन्न राज्यों के चिकित्सकों सहित 50 से अधिक स्वास्थ्यकर्मी कोविड-19 से संक्रमित पाये गये हैं।

याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने का न्यायालय से आग्रह किया था कि कोविड-19 सुरक्षा किट आइसोलेशन वार्डों में काम करने वाले हरेक स्वास्थ्यकर्मी को उपलब्ध करायी जाये, क्योंकि ये कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इर्द-गिर्द रहने के कारण संक्रमण की दृष्टि से अधिक असुरक्षित होते हैं।

याचिकाकर्ता ने ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज’ के तहत निजी दुर्घटना बीमा के दायरे में स्थायी या तदर्थ सभी कर्मचारियों को लाने के लिए सरकार को निर्देश देने का न्यायालय से अनुरोध किया था।

याचिका में कहा गया था कि लोगों के इलाज के दौरान नर्सों के कोरोना की चपेट में आने का अंदेशा बना रहता है इसलिए इन्हें कोरोना से सुरक्षा संबंधी सभी जरूरी चीजें मुहैया कराई जाए, उनके परिवार

को कोरोना से बचाव के सभी साधन उपलब्ध कराया जाए, घर से अस्पताल आने-जाने के लिए अलग से वाहन का इंतज़ाम करवाया जाए, अस्पताल के नज़दीक ही उनके ठहरने की व्यवस्था की जाए, साथ ही और कई मांगें याचिका में की गई थी।
 

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