पैसों के लिए धर्मांतरण करना खुद के और दूसरे के धर्म को धोखा देना है : प्रदीप मिश्रा

मतांतरण के मुद्दे पर उन्होंने कहा, जो अन्य धर्म के लोग मतांतरण करा रहे हैं, पहले वे अपने माता पिता से पूछें कि वो कौन से धर्म से थे? उनके दादा - परदादा कौन से धर्म के थे;

Update: 2022-11-12 16:40 GMT

रायपुर। मतांतरण के मुद्दे पर  उन्होंने कहा, जो अन्य धर्म के लोग मतांतरण करा रहे हैं, पहले वे अपने माता पिता से पूछें कि वो कौन से धर्म से थे? उनके दादा - परदादा कौन से धर्म के थे। भारत में एक ही सनातन धर्म था। पैसों के लिए मतांतरण करना खुद के और दूसरे के धर्म को धोखा देना है। कथावाचक प्रदीप मिश्रा ने कहा, ये उनकी विपरीत बुद्धि है। उन्हें ऊपर से प्रेशर रहता है, उन्हें इतना लालच दिया जाता है कि उन्हें मतांतरण कराना पड़ता है।

 राजनीति और धर्म एक दूसरे से जुड़े हैं

उन्होंने  कहा राजनीति और धर्म एक दूसरे से जुड़े हैं। राजा महाराजा भी राजगुरु से सलाह लेते थे। बच्चों, युवाओं में संस्कार का बीज रोपित करें, पाश्चात्य संस्कृति से दूर रहेंगे। एक लोटा जल में समस्याओं का हल है, इसका अर्थ है कि आपकी ईश्वर के प्रति आस्था होनी चाहिए। मां पार्वती ने भी शिवलिंग पर जल अर्पित किया था।

जरूरी नहीं कि हवन यज्ञ में लाखों खर्च करके ही शिव को प्रसन्न किया जाए। एक लोटा जल ही आस्था के लिए काफी है। हिंदू राष्ट्रके लिए जो भी अभियान चलाए हर किसी को सहयोग, आंदोलन, जन जागरण के लिए आगे आना चाहिए।

उन्होंने कहा, इतनी भीड़ पंडित प्रदीप मिश्रा को देखने, सुनने नहीं उमड़ रही बल्कि ये हजारों लोग शिव के भक्त है। उनकी आस्था है। कोई ढोंग, पाखंड नहीं है, शिव मंदिरों की सफाई नित्य होने लगी है, पहले बेल पत्र चढ़े ही रहते थे, अब छोटे मंदिर भी साफ रहते हैं।

गुढिय़ारी इलाके में चल रही मशहूर कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा का बचपन काफी आर्थिक संकट से गुजरा।भरपेट खाना भी नहीं मिलता था। गुजारा के लिए  वे चाय बेचते थे। उनके पिता चने का ठेला लगाते थे।इसके बाद कैसे कथा वाचक बने और इस मुकाम को हासिल किया।पंडित प्रदीप मिश्रा ने शुक्रवार को पत्रकारों से चर्चा के दौरान अपने सफर की कहानी खुद उन्होंने  बताई।

स्पताल में जन्म हो सके इतने पैसे नहीं थे

मध्यप्रदेश के सीहोर में जन्में पंडित प्रदीप मिश्रा अपने शुरुआती जीवन के बारे में बताते हैं। उन्होंने कहा- मेरा जन्म घर के आंगन में तुलसी की क्यारी के पास हुआ था, क्योंकि अस्पताल में जन्म के बाद दाई को जो रुपए दिए जाते थे उतने भी हमारे पास नहीं थे। मेरे पिता स्व रामेश्वर मिश्रा पढ़ नहीं पाए। चने का ठेला लगाते थे। बाद में चाय की दुकान चलाई, मैं भी दुकान में जाकर लोगों को चाय दिया करता था।

उन्होंने बताया- मेरा कोई लक्ष्य नहीं था, मैं दूसरों के कपड़े पहनकर स्कूल गया, दूसरों की किताबों से पढ़ा। बस यही चिंता रहती थी कि पेट भर जाए और परिवार को संभाल लें।

भगवान शिव ने पेट भी भरा और जीवन भी संवारा। हमें याद है, बहन की शादी का जिम्मा था, मुझे याद है सीहोर के एक सेठ की बेटी की शादी हुई तो भवन में डेकोरेशन था। हम उस सेठ के पास हाथ जोडक़र कहने गए थे कि वो अपना डेकोरेशन रहनें दें ताकि इसी में हमारी बहन की शादी हो जाए।

गुरु ने कहा था तुम्हारा पंडाल खाली नहीं रहेगा

पं प्रदीप मिश्रा ने बताया कि सीहोर में ही एक ब्राह्मण परिवार की गीता बाई पराशर नाम की महिला ने उन्हें कथा वाचक बनने पर प्रेरित किया। वो दूसरों के घरों में खाना बनाने का काम करती थीं। मैं उनके घर पर गया था, उन्होंने मुझे गुरुदीक्षा के लिए इंदौर भेजा। मेरे गुरु श्री विठलेश राय काका जी ने मुझे दीक्षा दी। पुराणों का ज्ञान दिया।

पं मिश्र बताते हैं कि उनके गुरु के मंदिर में सैंकड़ो पक्षी रहते हैं। गुरु पक्षियों से श्री कृष्ण बुलवाते थे। मंत्र बुलवाते थे। पक्षी भी हमारे गुरुधाम में हरे राम हरे कृष्ण, बाहर निकलो कोई आया है... बोलते हैं।

मुझे याद है मैं जब उनके पास गया था तो मुझे देखते ही उन्होंने मेरी गुरुमाता अपनी पत्नी से कहा- बालक आया है भूखा है इसे भोजन दो। इसके बाद उन्होंने मुझे आर्शीवाद देकर कहा था तुम्हारा पंडाल कभी खाली नहीं जाएगा।

शुरुआत में मैंने शिव मंदिर में कथा भगवान  शिव को ही सुनाना शुरू किया। मैं मंदिर की सफाई करता था। इसके बाद सीहोर में ही पहली बार मंच पर कथावाचक के रूप में शुरुआत की।

एक लोटा जल समस्या का हल

अपने कथा के कार्यक्रमों में पं प्रदीप मिश्रा लोगों से कहते हैं एक लोटा जल समस्या का हल। इसके बारे में उन्होंने कहा- शिव बाबा की कृपा होती है जल चढ़ाने से। माता पार्वती भी उन्हें जल चढ़ाती थीं।

भगवान गणेश जी भी। भगवान राम जब अयोध्या से निकले और जहां-जहां रुके शिवलिंग बनाए और जल चढ़ाया। जल का महत्व ये है कि हम अपने हृदय भाव भगवान को अर्पित कर रहे हैं।

हृदय में शिव का ध्यान करके जल चढ़ाइए और अपनी समस्या भगवान से साझा करिए। हमारे यहां शिव पुराण में कमल गट्?टे के जल का प्रयोग बताया गया है। इसे शुक्रवार के दिन भगवान शिव पर चढ़ाएं, इससे लक्ष्मी आती है और आरोग्यता रहती है।

वे  लोगों को शिव पूजा के बाद स्वास्थ्य लाभ मिलने का दावा भी करते हैं।

शिव कर्म करने कहते हैं

पं प्रदीप मिश्रा ने कहा- भगवान शिव कर्म करने को कहते हैं। हम अपनी कथा में भी लोगों से यही कहते हैं कि कर्म करिए और विश्वास के साथ भगवान शिव की आराधना करें। भगवान शिव ने अपने पुत्रों को विष्णु की तरह बैकुंठ और रावण को दी गई सोने की लंका नहीं दी। उन्होंने उन्हें भी कर्म करने दिया।

भगवान शिव कोई नशा नहीं करते

उन्होंने कहा- आजकल युवा नशे की ओर जा रहे हैं। आज के पोस्टर्स भगवान शिव को गांजा पीते या चिलम के साथ दिखाया जाता है। शिव जी ने कोई नशा नहीं करा । जब विष भेजा गया तब उसे पीते समय जो बूंदे गिरीं वो भांग धतूरा बनीं। वो सिर्फ शिव के पास रखी होती हैं, उनका सेवन शिव नहीं करते।

स्वयं माता पार्वती ने शिव जी से पूछा था आप किस नशे में रहते हैं तो उन्होंने कहा थ राम नाम का नशा है। यहां आकर लोग शिव का नशा कर रहे हैं तो दूसरे नशे की जरुतर ही नहीं। यहां हम कौन सा भांग का प्रसाद बंट रहे हैं। यहां लोग जो आए हैं शिव के भक्ति रस में मस्त हैं।

आस्था और अंधविश्वास में अंतर है

पं प्रदीप मिश्रा ने कहा- कोई बेल दे रहे हैं, भभूत दे रहे हैं या चमत्कार प्रकट करने का दावा कर रहे हैं तो ये अंधविश्वास है। कोई कहता है जमीन में से सोने से भरा हंडा निकलेगा तो मैं खुद कहता हूं भाई मुझे भी बता दो कहां से निकलेगा। ये सब अंधविश्वास हैं। आस्था में अंतर है। आस्था में आपने किसी के प्रति काम किया आपके प्रति विश्वास बढ़ गया।

ये आस्था है, दिखावा नहीं, हम तो कहते हैं घर के करीब शंकर का स्मरण करो दूर जाकर शिवालय श्रेष्ठ समझकर वहां पूजा करने से लाभ नहीं। अपनी आस्था से अपने आस-पास ही शिव को महसूस किया जा सकता है।

आय बढ़ाने का साधन शिव भक्ति

गुढिय़ारी के दही हांडी मैदान में चल रहे शिव महापुराण कथा का शुक्रवार को तीसरे दिन कथा पहाल में लाखों की संख्या में भक्तों की भीड रही। पडाल के बाहर भी कथा सुनने आये लोगों की भीड़ देखी गई। इसके लिए लोग सुबह 6 बजे से ही पडाल में पहुंचने लगे थे। कथाकार प्रदीप महराज का सुनने राजस्थान और पश्चिम बंगाल से भी श्रद्धालु पहुंचे है।

पंडित मिश्रा ने आज अपनी कथा की शुरुआत अहंकार और भक्ति के प्रतिफल से की। उन्होंने कहा कि अहंकारी को मारना आसान है लेकिन अहंकार को मारना मुश्किल है। एक कथा में कहा कि भगवान राम ने हनुमान जी को समझौता कराने रावण के पास भेजा थाए तब हनुमान जी के प्रश्न के उत्तर में कहा कि रावण को मिटाना आसान है।

लेकिन मंदोदरी की मांग का सिंदूर मिटाना कठिन है। नारी के माथे का सिंदूर भारत की संस्कृति रही है। प्रदीप मिश्रा ने कहा कि आय बढ़ाने का साधन सब ढूंढते हैं। पर आय और उम्र बढ़ाने का साधन शिव भक्ति में है। जीवन में माता.पिताए गुरु और भगवान शिव इन तीन जगहो पर जाने से आय और उम्र दोनों बढ़ जाता है।

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