संविधान पीठ लेगी निर्वाचन आयोग कॉलेजियम के गठन पर फैसला

सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को मुख्य निर्वाचन आयुक्त व निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम के गठन की मांग वाली याचिका को संविधान पीठ को भेज दिया;

Update: 2018-10-23 23:53 GMT

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को मुख्य निर्वाचन आयुक्त व निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम के गठन की मांग वाली याचिका को संविधान पीठ को भेज दिया। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई व न्यायमूर्ति संजय कृष्ण कौल ने मामले को वृहद पीठ को भेज दिया, क्योंकि इसमें धारा 324 (2) की व्याख्या शामिल है। धारा 324 (2) चुनाव निगरानीकर्ता की नियुक्ति से जुड़ी है।

अदालत ने पाया कि यह याचिका चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति को पूरी तरह सुरक्षित करने और तंत्र को बेहतर करने के लिए है तो उसने यह मामला संवैधानिक पीठ को भेज दिया।

महान्यावादी के.के. वेणुगोपाल और अधिवक्ता प्रशांत भूषण की याचिकाओं का हवाला देते हुए पीठ ने कहा, "हम विचार कर रहे हैं कि मामले को करीब से देखने की जरूरत है और संविधान की धारा 324 के प्रावधानों की व्याख्या करने की जरूरत है। इस मुद्दे पर अदालत ने इससे पहले कोई बहस या जवाब नहीं दिया है।"

संविधान की धारा 145 (3) का हवाला देते हुए अदालत ने कहा, "इसी प्रकार हम आधिकारिक घोषणा के लिए वर्तमान कार्यवाही में उठे प्रश्न को संवैधानिक पीठ को भेज रहे हैं।"

संविधान की धारा 145 (3) के तहत अदालत को ऐसे मामलों को संवैधानिक पीठ को भेजना होता है।

जहां भूषण ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में गैर पारदर्शी तरीके का हवाला दिया, महा न्यायवादी ने मुख्य चुनाव आयुक्त रह चुके स्वर्गीय टी.एन. शेषन की याद दिलाई। पूर्व चुनाव आयुक्त ने चुनाव कराने में आयोग की अगुआई की थी।

चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए निष्पक्ष और स्वतंत्र चयन समिति की मांग करते हुए जनहित याचिकाकर्ता अनूप बरनवाल ने तर्क दिया कि वर्तमान में चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की सरकार की प्रक्रिया भेदभावपूर्ण है और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।

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