माब लिचिंग मुद्दोें से ध्यान भटकाने की साजिश, सचेत रहे कार्यकर्ता: मायावती

सुश्री मायावती ने पार्टी के राज्य मुख्यालय पर आयोजित बैठक को संबोधित करते हुये मांग की कि केन्द्र और उत्तर प्रदेश की सरकार को माबॅ लिंचिंग को लेकर सख़्त क़ानून बनाने की जरूरत है।;

Update: 2019-09-05 14:49 GMT

लखनऊ । गरीबी,बेरोजगारी और खराब अर्थव्यवस्था से जनता का ध्यान हटाने के लिये केन्द्र सरकार पर माब लिचिंग जैसी घटनाओ का षडयंत्र रचने का आरोप लगाते हुये बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने समर्थकों को आगाह किया कि सरकारी मंसूबों को विफल करने के लिये वे गैरकानूनी गतिविधि से दूर रहें।

सुश्री मायावती ने पार्टी के राज्य मुख्यालय पर आयोजित बैठक को संबोधित करते हुये मांग की कि केन्द्र और उत्तर प्रदेश की सरकार को माबॅ लिंचिंग को लेकर सख़्त क़ानून बनाने की जरूरत है। उन्होने कहा कि हाल के दिनो में भीड़ हिंसा की बढ़ती घटनाओं ने देश दुनिया का ध्यान खींचा है। ऐसे में बसपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों को बहुत सजग रहने की ज़रूरत है। वे लोग कोई भी ऐसा काम नहीं करें जिससे सरकार को जातिवादी द्वेष एवं राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई करने का कोई मौका मिले।

उन्होने कहा कि माॅब लिंचिंग, जातिवादी जुल्म-ज्यादती, महिला उत्पीड़न की घटनाओं ने समाज को परेशान कर रखा है, लेकिन इसके शिकार लोगों को कानूनी दायरे में मदद प्राप्त करने का प्रयास करते रहना चाहिए। इस सम्बन्ध में धारा 144 का उल्लंघन बिल्कुल नहीं करना है। ऐसा करके सरकारी मंसूबों और षडयंत्रों को विफल किया जा सकता है।

बसपा अध्यक्ष ने कहा कि यूपी में ख़ासकर अपराध-नियंत्रण व कानून-व्यवस्था की हालात काफी ज़्यादा ख़राब हैं तथा बढ़ती ग़रीबी एवं बेरोज़गारी की समस्या और ज्यादा विकट होकर अनेक प्रकार के अपराधों को बढ़ाने का कारण बन रही है। ऐसे में अपनी विफलताओं पर से लोगों का ध्यान बांटने के लिए सरकार हर प्रकार का हथकण्डा इस्तेमाल कर सकती है।

उन्होने कहा कि सरकार की गलत नीतियों और कार्यकलापों से जनता में जो त्राहि-त्राहि मची हुई है। अर्थव्यवस्था काफी बुरे दौर से गुजर रही है, जिस कारण बेरोज़गारी हर स्तर पर लगातार बढ़ती जा रही है, जो सरकार के लिए बड़ी चिन्ता की बात होनी चाहिए। कहीं यह सब नोटबंदी व जीएसटी को आपाधापी में लागू करने का कुप्रभाव तो नहीं है। वैसे भी देश में फैली व्यापक ग़रीबी व बेरोजगारी की समस्या को दूर करना केन्द्र व राज्य सरकारों की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। वर्तमान समय में यही सबसे बड़ा देशहित व सही राष्ट्र भक्ति भी हैं।

सुश्री मायावती ने कहा कि इस सम्बन्ध में केन्द्र सरकार द्वारा उठाये गये कदम आधे-अधूरे ही लगते हैं। जनता की जेब खाली पड़ी हुई है। उसके पास काम नहीं है और ना ही खर्च करने के लिए पाकेट में पैसे हैं। यही देश के करोड़ों लोगों की असली समस्या है जो अर्थव्यवस्था चौपट होने का कारक भी है। सरकार इस पर फौरन प्रभावी ध्यान देकर करोड़ों युवाओं की अपेक्षाओं पर खरा उतरने का प्रयास करे तो बेहतर है।

बसपा अध्यक्ष ने कहा कि दलित, आदिवासी व पिछड़े वर्ग के लोग आरक्षण के सही ढंग से लागू नहीं होने के कारण काफी उद्वेलित हैं जबकि सरकारी क्षेत्र में लाखों आरक्षित पद खाली पड़े हुए हैं। इन उपेक्षित वर्गों के आरक्षण के संवैधानिक व्यवस्था की समीक्षा की तलवार भी हर वक्त लटकाए रखा है जो अति-दुर्भाग्यपूर्ण है। बसपा की माँग है कि आरक्षण की समतामूलक मानवतावादी व्यवस्था को संविधान की नौंवी अनुसूची में शामिल किया जाए, ताकि घोर जातिवादी तत्वों को इसकी आड़ में संकीर्ण राजनीति करने का मौका न मिले।

एससी/एसटी और ओबीसी वर्गों के लाखों छात्रों को वजीफा समय पर नहीं मिलने का आरोप लगाते हुये सुश्री मायावती ने कहा कि इस प्रकार के जातिवादी द्वेष से इन उपेक्षित वर्गों के छात्र/छात्राओं का शैक्षणिक जीवन प्रभावित हो रहा है, जिस पर सरकार को तुरन्त ध्यान देने की जरूरत है।

उन्होने कहा कि भाजपा और इनकी सरकार भी वही सब ग़लतियाँ कर रही है जो पहले कांग्रेस की सरकारों में हुआ करता था। जिससे त्रस्त होकर जनता ने उन्हें फिर नकारा है और उन्हें सत्ता गंवानी पड़ी। कुल मिलाकर आज भाजपा की केन्द्र एवं राज्यों में जो सरकार है। वह कांग्रेस पार्टी की अनगिनत ग़लतियों व विफलताओं का ही नतीजा है लेकिन अब क्या बीजेपी भी कांग्रेस की तरह ही अपनी गलत नीतियों व कार्यकलापों से अपने पाॅव पर खुद ही कुल्हाड़ी तो नहीं मार रही है।

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