जिताऊ-टिकाऊ उम्मीदवारों पर कांग्रेस का जोर, दिल्ली में हुई पंजाब स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक
संसद सत्र के बाद कांग्रेस पार्टी ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया तेज कर दी है;
नई दिल्ली। संसद सत्र के बाद कांग्रेस पार्टी ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया तेज कर दी है। इसके लिए कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी जिलों में जाकर दावेदारों से रूबरू हो रही है। इसी सिलसिले में पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर बुधवार को दिल्ली में स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक हुई। बैठक में पंजाब प्रभारी हरीश चौधरी, स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष अजय माकन, पंजाब के वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़ इसके साथ ही कई अन्य सांसद मौजूद रहे। खास बात यह रही कि पंजाब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू इस बैठक में शामिल नहीं हुए। उम्मीद लगाई जा रही है कि अगले महीने तक कांग्रेस पंजाब विधानसभा के उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर देगी।
दरअसल, कांग्रेस इस बार चुनाव में जिताऊ के साथ टिकाऊ उम्मीदवार तलाश रही है। इसके लिए कांग्रेस आलाकमान ने स्क्रीनिंग कमेटी का गठन कर उनके पदाधिकारियों को जिलों में जाने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत उत्तर प्रदेश में स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन जितेंद्र सिंह, उत्तराखंड में कमेटी के चेयरमैन अविनाश पांडे जिलों में जाकर विधानसभा क्षेत्रों के दावेदारों से मुलाकात कर रहे हैं। स्क्रीनिंग कमेटी दावेदारों से उनके जीत का आधार और पार्टी के प्रति वफादारी को लेकर सवाल पूछ रही है। इसके अलावा कमेटी जिलों के पदाधिकारियों और विधानसभा क्षेत्रों के कार्यकर्ताओं की रायशुमारी भी कर रही है। गौरतलब है कि अब तक के चुनावों में कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी प्रदेश मुख्यालय में बैठक तक सीमित रहती आई है।
इस चयन प्रक्रिया में सर्वे रिपोर्ट की भूमिका भी अहम रहने वाली है। कांग्रेस ने विभिन्न तरीके के सर्वे भी करवाए हैं। स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन के पास इन सब लोगों की रिपोर्ट भी है। जमीनी फीडबैक और सर्वे की रिपोर्ट मिलाकर दावेदारों की दावों की सच्चाई जांची जाएगी, जिसके बाद उम्मीदवारों के नामों की घोषणा होगी।
गौरतलब है कि कांग्रेस ने कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश में विधायकों के इस्तीफा प्रकरण से सबक ले रही है। यही वजह है कि इस बार जिताऊ के साथ टिकाऊ उम्मीदवार पर जोर दिया जा रहा है।