आम बजट रोजगार सृजन और मंदी का मुकाबला करने वाला : सुशील मोदी

बिहार के उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने लोकसभा में शनिवार को पेश आम बजट की प्रशंसा करते हुए कहा कि इससे रोजगार सृजन, आम लोगों की आमदनी बढ़ाने में जहां मदद मिलेगी;

Update: 2020-02-01 22:43 GMT

पटना। बिहार के उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने लोकसभा में शनिवार को पेश आम बजट की प्रशंसा करते हुए कहा कि इससे रोजगार सृजन, आम लोगों की आमदनी बढ़ाने में जहां मदद मिलेगी, वहीं बेहतर तरीके से मंदी का मुकाबला भी हो सकेगा। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही इस बजट से 15 वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर केंद्रीय करों में पिछले वर्ष की तुलना में बिहार की हिस्सेदारी में 15 हजार करोड़ की वृद्धि होगी।

मोदी ने कहा कि एन.के. सिंह की अध्यक्षता वाले 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा को 2020-21 के बजट में शामिल करने के परिणामस्वरूप केंद्रीय करों में बिहार की हिस्सेदारी 2019-20 की 9़665 प्रतिशत की तुलना में बढ़कर 2020-21 में 10़061 प्रतिशत हो गई है। इसके परिणामस्वरूप पिछले साल जहां केंद्रीय करों में बिहार की हिस्सेदारी के तौर पर 63,406 करोड़ रुपये का प्रावधान था वहीं इस साल बिहार का हिस्सा 15 हजार करोड़ रुपये की वृद्धि के साथ 78,896 करोड़ रुपये होगा।

उन्होंने प्रधानमंत्री और 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष सिंह को धन्यवाद देते हुए कहा है कि 14वें वित्त आयोग ने जहां केवल ग्राम पंचायतों के लिए अनुदान का प्रावधान किया था, वहीं 2020-21 के बजट में पंचायती राज की त्रिस्तरीय संस्थाओं ग्राम पंचायत, प्रखंड समिति और जिला परिषद के लिए अनुदान के प्रावधान से बिहार जैसे राज्य को काफी लाभ मिलेगा।

उन्होंने कहा, "वित्त आयोग की अनुशंसा पर बजट में ग्राम पंचायती राज के लिए 5018 करोड़, नगर निकायों के लिए 2416 करोड़ और आपदा प्रबंधन केलिए 1888 करोड़ का प्रावधान किया गया है।"

मोदी ने दावा करते हुए कहा कि पूरे देश में पिछले वर्ष की तुलना में 20-21 में पंचायती राज संस्थाओं के बजट में 11 हजार करोड़, नगर निकायों के लिए 4500 करोड़ रुपये और आपदा प्रबंधन अनुदान में 10062 करोड़ रुपये की वृद्धि का सर्वाधिक लाभ बिहार जैसे राज्य को मिलेगा।

बजट में आयकर को सरलीकरण, लघु एवं मध्यम उद्योगों, आवासीय व कृषि प्रक्षेत्रों के लिए जो अनेक प्रावधान किए गए हैं, उससे जहां रोजगार का सृजन होगा, लोगों की आमदनी बढ़ेगी, लोगों के हाथों में ज्यादा पैसा आएगा, बचत होगी जिससे आर्थिक सुस्ती का बेहतर तरीके से मुकाबला संभव होगा।
 

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